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Radha Ashtami 2023: राधा अष्टमी पर्व कल, इस शुभ मुहूर्त में करें किशोरी जी की उपासना

Radha Ashtami 2023 हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से राधा अष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष राधा अष्टमी पर्व 23 सितंबर 2023 के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राधा अष्टमी पर्व के दिन राधा रानी की उपासना करने से सभी दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Fri, 22 Sep 2023 12:26 PM (IST)
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Radha Ashtami 2023: राधा अष्टमी पर इस शुभ मुहूर्त में करें किशोरी जी की उपासना।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Radha Ashtami 2023: प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से राधा अष्टमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बता दें कि नाम के अनुरूप राधा अष्टमी पर्व के दिन किशोरी जी की उपासना का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर किशोरी जी की विधिवत उपासना करने से साधक को सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में यह वर्णित है कि राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की उपासना मध्याह्न काल में की जाती है। आइए जानते हैं, राधा अष्टमी पूजा मुहूर्त, शुभ योग और पूजा विधि।

राधा अष्टमी 2023 तिथि (Radha Ashtami 2023 Date)

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होगी और 23 सितंबर दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में राधा अष्टमी पर्व 23 सितंबर 2023, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर मध्याह्न काल में किशोरी जी की उपासना का विधान है, जो सुबह 11 बजकर 01 मिनट से दोपहर 01 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।

राधा अष्टमी 2023 शुभ योग (Radha Ashtami 2023 Shubh Yog)

पंचांग में बताया गया है कि राधा अष्टमी पर्व के दिन तीन अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। बता दें कि इस दिन सौभाग्य योग जो रात्रि 09 बजकर 31 मिनट तक रहेगा और इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। साथ ही इस दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है जो इस दिन दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से 24 सितंबर सुबह 06 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस सभी मुहूर्त को पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

राधा अष्टमी 2023 पूजा विधि (Radha Ashtami 2023 Puja Vidhi)

राधा अष्टमी के दिन सुबह स्नान-ध्यान करके पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और एक चौकी पर किशोरी जी की धातु या पाषाण की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद प्रतिमा या तस्वीर को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र धारण कराएं। पूजा काल में मंडप के भीतर तांबे या मिट्टी से बने पात्र पर मूर्ति स्थापित करें। फिर राधा रानी को धूप, दीप, पुष्प इत्यादि अर्पित करें। इसके बाद राधा रानी जी की आरती करें। साथ ही इस दिन किसी जरूरतमंद को अन्न, धन या वस्त्र का दान करें।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।