Radha Ashtami 2024: क्यों मनाते हैं राधा अष्टमी का पर्व? जानें इस त्योहार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
सनातन धर्म में राधा अष्टमी (Radha Ashtami 2024) पर्व का विशेष महत्व है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्री राधा रानी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही प्रिय चीजों का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जन्माष्टमी के बाद भाद्रपद माह में ही राधा अष्टमी के त्योहार को मनाया जाता है। यह पर्व श्री राधा रानी को समर्पित है। इस खास दिन पर बरसाना समेत देशभर में खास उत्साह देखने को मिलता है। क्या आपको पता है कि हर साल राधा अष्टमी (Radha Ashtami 2024) क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं इसके बारे में।
ये है वजह
पौराणिक कथा के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्री राधा रानी का जन्म बरसाना में हुआ था। इसलिए इस दिन को राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस खास पर्व का श्रीकृष्ण भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। राधा अष्टमी के लिए श्री राधा रानी के मंदिरों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है और राधा रानी की विशेष उपासना की जाती है।
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राधा अष्टमी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक है। मान्यता है कि इस मुहूर्त में पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होगा।राधा अष्टमी का महत्व
जैसे भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित जन्माष्टमी का व्रत किया जाता है। ठीक वैसे ही राधा अष्टमी का व्रत किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राधा रानी की सच्चे मन से पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है और पति-पत्नी के रिश्ते में मजबूती आती है। इसके अलावा व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य, आयु एवं सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे।ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे।।
नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।।
मंत्रैर्बहुभिर्विन्श्वर्फलैरायाससाधयैर्मखै: किंचिल्लेपविधानमात्रविफलै: संसारदु:खावहै। एक: सन्तपि सर्वमंत्रफलदो लोपादिदोषोंझित:, श्रीकृष्ण शरणं ममेति परमो मन्त्रोड्यमष्टाक्षर।।यह भी पढ़ें: Radha Ashtami 2024: राधा अष्टमी के दिन किए गए उपाय, कर सकते हैं विवाह की बाधा को दूर
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप
ओम ह्रीं श्रीराधिकायै नम:।ओम ह्रीं श्री राधिकायै नम:।नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे।ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे।।
नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।।
मंत्रैर्बहुभिर्विन्श्वर्फलैरायाससाधयैर्मखै: किंचिल्लेपविधानमात्रविफलै: संसारदु:खावहै। एक: सन्तपि सर्वमंत्रफलदो लोपादिदोषोंझित:, श्रीकृष्ण शरणं ममेति परमो मन्त्रोड्यमष्टाक्षर।।यह भी पढ़ें: Radha Ashtami 2024: राधा अष्टमी के दिन किए गए उपाय, कर सकते हैं विवाह की बाधा को दूर
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।