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Radha Kund Snan 2024: निसंतान के लिए किसी वरदान से कम नहीं है राधा कुंड स्नान, जानिए शुभ मुहूर्त और विधि

हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष पर की अष्टमी पर अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है और इसी दिन पर राधा राधा कुंड स्नान (Radha Kund Snan Date 2024) करने का भी विधान है। यह दोनों ही पर्व संतान की प्राप्ति या फिर उसकी सुरक्षा के लिए मनाए जाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी कुछ खास मान्यताएं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 23 Oct 2024 10:47 AM (IST)
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Radha Kund Snan 2024: इस दिन किया जाएगा राधा कुंड स्नान।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान (Radha Kund Snan Date 2024) करने या डुबकी लगाने का विशेष महत्व माना गया है। राधा कुंड, मथुरा के गोवर्धन परिक्रमा का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस कुंड को लेकर मान्यता है कि अहोई अष्टमी पर इस कुंड में दंपति द्वारा डुबकी लगाने पर उनकी संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी हो सकती है। ऐसे में चलिए जानते हैं राधा कुंड स्नान का शुभ मुहूर्त।

राधा कुंड स्नान शुभ मुहूर्त (Snan shubh muhurat)

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 24 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है। वहीं समापन की बात करें, तो यह तिथि 25 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि को देखते राधा कुंड स्नान गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024 को किया जाएगा। इस दिन स्नान का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

राधा कुंड अर्ध रात्रि स्नान मुहूर्त - 11 बजकर 38 मिनट से 25 अक्टूबर 12 बजकर 29 मिनट तक

क्या है महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी साधक संतान प्राप्ति की इच्छा के साथ अहोई अष्टमी के खास अवसर पर राधा कुंड में स्नान करना है या फिर श्रद्धापूर्वक डुबकी लगाता है, तो उसकी यह इच्छा पूरी होती है। इस दिन पर दिव्य कुंड में अर्ध रात्रि को निशिता काल में स्नान किया जाता है।

साथ ही राधा कुंड में स्नान करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा भी प्राप्त  होती है। यही कारण है कि अहोई अष्टमी पर असंख्य निसंतान जोड़े यहां डुबकी लगाने आते हैं। जब किसी जोड़े की संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी हो जाता है, तो वह दोबारा इस कुंड में स्नान करने आते हैं और राधा रानी का आभार प्रकट करते हैं।

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स्नान की विधि

संतान प्राप्ति की मनोकामना के लिए स्नान करने वाले जोड़े को पूरे दिन व्रत करना होता है। इसके बाद रात्रि में शुभ मुहूर्त में कुंड में स्नान किया जाता है। इस दौरान एक लाल कपड़े में पेठा (सफेद रंग का कद्दू) बांधकर हाथों में रखते हैं और राधा रानी का ध्यान करते हैं। इसके बाद अपनी मनोकामना कहते हुए इसे राधा रानी को अर्पित करते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।