Rahu-Ketu: राहु-केतु की पूजा से दूर होंगे सभी दुख, जरूर करें उनके इस कवच का पाठ
सनातन धर्म में राहु-केतु की पूजा का अपना एक खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में ये ग्रह मजबूत होते हैं उन्हें सभी चीजें शीघ्र ही प्राप्त हो जाती हैं। वहीं अगर ये ग्रह कुंडली में नीच स्थान पर पहुंच जाएं तो काफी ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनिवार के दिन राहु-केतु की पूजा होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rahu-Ketu Pujan: हिंदू धर्म में राहु-केतु को क्रूर ग्रह की उपाधि दी गई है। ऐसी मान्यता है कि, जिनकी कुंडली में ये ग्रह मजबूत होते हैं, उनका जीवन भौतिक सुखों के साथ बीतता है। वहीं, अगर ये ग्रह कुंडली में नीच स्थान पर पहुंच जाएं, तो काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
शनिवार का दिन राहु-केतु की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसे में उनकी पूजा विधि अनुसार करें। इसके साथ ही उनके कवच का पाठ अवश्य करें, जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
॥राहु कवच॥
अस्य श्रीराहुकवचस्तोत्रमंत्रस्य चंद्रमा ऋषिः ।अनुष्टुप छन्दः । रां बीजं । नमः शक्तिः ।
स्वाहा कीलकम् । राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥प्रणमामि सदा राहुं शूर्पाकारं किरीटिन् ॥सैन्हिकेयं करालास्यं लोकानाम भयप्रदम् ॥
निलांबरः शिरः पातु ललाटं लोकवन्दितः ।चक्षुषी पातु मे राहुः श्रोत्रे त्वर्धशरीरवान् ॥नासिकां मे धूम्रवर्णः शूलपाणिर्मुखं मम ।जिव्हां मे सिंहिकासूनुः कंठं मे कठिनांघ्रीकः ॥भुजङ्गेशो भुजौ पातु निलमाल्याम्बरः करौ ।पातु वक्षःस्थलं मंत्री पातु कुक्षिं विधुंतुदः ॥कटिं मे विकटः पातु ऊरु मे सुरपूजितः ।स्वर्भानुर्जानुनी पातु जंघे मे पातु जाड्यहा ॥
गुल्फ़ौ ग्रहपतिः पातु पादौ मे भीषणाकृतिः ।सर्वाणि अंगानि मे पातु निलश्चंदनभूषण: ॥राहोरिदं कवचमृद्धिदवस्तुदं यो ।भक्ता पठत्यनुदिनं नियतः शुचिः सन् ।प्राप्नोति कीर्तिमतुलां श्रियमृद्धिमायुरारोग्यमात्मविजयं च हि तत्प्रसादात् ॥