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Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन पर धनिष्ठा नक्षत्र समेत बन रह हैं 3 मंगलकारी संयोग, प्राप्त होगा दोगुना फल

सनातन धर्म में सावन पूर्णिमा (Sawan Purnima 2024) का विशेष महत्व है। इस दिन साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। इसके पश्चात जगत के पालनहार भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इसके अलावा पूर्णिमा तिथि पर दान-पुण्य भी किया जाता है। इस तिथि पर भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन मनाया जाता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 19 Aug 2024 11:04 AM (IST)
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Raksha Bandhan 2024 Shubh Yog: रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Raksha Bandhan 2024: सनातन धर्म में रक्षाबंधन पर्व का विशेष महत्व है। यह पर्व हर वर्ष सावन पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों को अपने बजट के अनुसार गिफ्ट देते हैं। इस वर्ष 19 अगस्त यानी आज रक्षाबंधन है। ज्योतिषियों की मानें तो सावन पूर्णिमा पर धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। साथ ही कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही भाई को राखी बांधने से दोगुना फल प्राप्त होगा।

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शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan Shubh Muhurat Yoga)

श्रावण पूर्णिमा 19 अगस्त को देर रात 11 बजकर 55 मिनट तक है। हालांकि, प्रातः काल से भद्रा का योग बन रहा है। भद्रा के दौरान राखी न बांधने की सलाह दी जाती है। इसके लिए भद्रा के दौरान राखी न बांधें। 19 अगस्त को राखी बांधने के लिए शुभ समय दोपहर 01 बजकर 33 मिनट से लेकर 04 बजकर 20 मिनट तक है। वहीं, प्रदोष काल में शाम 06 बजकर 56 मिनट से लेकर 09 बजकर 08 मिनट तक है। इस योग में बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।

धनिष्ठा नक्षत्र (Raksha Bandhan Auspicious Yogas 2024)

रक्षाबंधन पर धनिष्ठा नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 08 बजकर 11 मिनट से हो रहा है। वहीं, इस योग का समापन 20 अगस्त को सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है। ज्योतिष धनिष्ठा नक्षत्र को शुभ मानते हैं। इस नक्षत्र के संयोग में पूजा-पाठ और दान-पुण्य कर सकते हैं। इसके साथ ही शोभन योग का निर्माण हो रहा है। शोभन योग देर रात 12 बजकर 47 मिनट तक है। इस योग में बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं। ऐसा करने से दोगुना फल प्राप्त होगा।

करण

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, रक्षाबंधन पर भद्रा समाप्त होने के साथ ही बव करण का निर्माण हो रहा है। आसान शब्दों में कहें तो दोपहर 01 बजकर 33 मिनट से बव करण का संयोग बन रहा है। इस योग का समापन देर रात 11 बजकर 55 मिनट पर हो रहा है।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 53 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट पर

चन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 54 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 25 मिनट से 05 बजकर 09 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 35 मिनट से 03 बजकर 27 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 18 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।