Raksha Bandhan 2024: राखी बांधते समय रखें दिशा का ध्यान, प्राप्त होगा अक्षय फल
सनातन धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व है। इस महीने का समापन पूर्णिमा तिथि पर होता है। सावन पूर्णिमा पर रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2024) का त्योहार मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में सभी शुभ कार्य कर सकते हैं। हालांकि भद्रा का साया दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 19 Aug 2024 10:10 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Raksha Bandhan 2024: भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष सावन पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं। साथ ही भाई की तरक्की के लिए जगत के पालनहार भगवान विष्णु से प्रार्थना करती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों को उनकी पसंद का गिफ्ट या उपहार देते हैं। साथ ही सुख-दुख में साथ रहने और जीवनभर रक्षा करने का वचन देते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो आज राखी पर भद्रा का साया पड़ रहा है। इसके लिए दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक राखी न बांधें। इसके बाद राखी बांधने के लिए शुभ समय है। वहीं, राखी बांधते समय बहनें दिशा और स्थान का विशेष ध्यान रखें। आइए जानते हैं-
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दिशा
- ज्योतिषियों की मानें तो राखी बांधते समय बहनों को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। सर्वप्रथम स्नान-ध्यान के बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा संपन्न ओने के बाद विधिवत भाइयों को राखी बांधें। इस समय बहन का मुख पश्चिम दिशा और भाई का चेहरा पूर्व दिशा में होना चाहिए। आसान शब्दों में कहें तो पूर्व और पश्चिम दिशा में भाई-बहन को बैठना चाहिए। अगर किसी कारणवश घर में ऐसी व्यवस्था नहीं है या दिशा का संयोग नहीं बन पा रहा है। ऐसी स्थिति में भाई उत्तर की दिशा में मुख कर बैठ सकता है। पूर्व एवं उत्तर दिशा में देवी-देवताओं का वास होता है।
- आज भद्रा का साया दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक है। इसके बाद बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि सूर्यास्त से पूर्व ही राखी बांधनी चाहिए। सूर्यास्त से पूर्व तक पूरब और उत्तर दिशा में मुख कर राखी बंधवानी चाहिए। ऐसा करने से सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है।
- अगर किसी कारणवश बहनें दिन की बेला या सूर्यास्त से पूर्व नहीं राखी बांध पाती हैं। ऐसी परिस्थिति में राखी सूर्यास्त के बाद भी बांध सकती हैं। इस समय भाई का मुख पूरब की तरफ नहीं बल्कि पश्चिम की तरफ होना चाहिए। आज प्रदोष काल में भी राखी का शुभ मुहूर्त है।
किस हाथ में बांधे राखी ?
सनातन धर्म शास्त्रों में वर्णित है कि पुरूषों के दाहिने भाग में देवताओं का वास होता है। यह भाग शक्ति का प्रमुख स्तोत्र माना जाता है। अतः हर शुभ कार्य दाहिने हाथ से किया जाता है। साधक दान-पुण्य दाहिने हाथ से करते हैं। इसके लिए बहनें अपने भाइयों की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें।
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