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Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन पर शोभन योग समेत बन रहे हैं 5 मंगलकारी संयोग, प्राप्त होगा दोगुना फल

सनातन धर्म में रक्षाबंधन पर्व का विशेष महत्व है। इस पर्व को मनाने की शुरुआत द्वापर युग से हुई है। इस शुभ अवसर पर कई मंगलकारी योग (Raksha Bandhan 2024 Shobhan Yog) का निर्माण हो रहा है। हालांकि रक्षाबंधन तिथि पर भद्रा का साया भी बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में भद्रा काल के दौरान राखी न बांधने की सलाह दी जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 01 Aug 2024 01:55 PM (IST)
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Raksha Bandhan 2024 Shubh Yog: रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Raksha Bandhan 2024: हर वर्ष सावन पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर बहनें अपने भाइयों को राखी बांधकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों को उपहार देकर सुख-दुख में भागीदार बनने का वचन देते हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सावन पूर्णिमा पर दुर्लभ शोभन योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं-

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शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan Shubh Muhurat Yoga)

पंचांग के अनुसार, श्रावण पूर्णिमा 19 अगस्त को देर रात 03 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 19 अगस्त को देर रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। उदया तिथि गणना अनुसार, 19 अगस्त को रक्षाबंधन मनाई जाएगी। हालांकि, भद्रा योग के समय में राखी नहीं बांधी जाती है।

शोभन योग (Raksha Bandhan Auspicious Yogas 2024)

ज्योतिषियों की मानें तो रक्षाबंधन पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग देर रात 12 बजकर 47 मिनट तक है। आसान शब्दों में कहें तो शोभन योग का संयोग दिन भर है। ज्योतिष शोभन योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। शोभन योग में बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं। इससे जातक को शुभ फल की प्राप्ति होगी। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक है।

धनिष्ठा नक्षत्र

रक्षाबंधन पर धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वप्रथम श्रवण नक्षत्र का संयोग है, जो सुबह 08 बजकर 10 मिनट तक है। इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। धनिष्ठा नक्षत्र दिन भर है। इस नक्षत्र योग का समापन 20 अगस्त को सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर होगा। ज्योतिष धनिष्ठा नक्षत्र को शुभ मानते हैं। इस योग में श्रीहरि की पूजा-उपासना कर बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।

करण

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सावन पूर्णिमा पर भद्रा का निर्माण हो रहा है। भद्रा काल दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक है। इस काल में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके लिए भद्रा के समय राखी न बांधें। वहीं, भद्रा समाप्त होने के साथ ही बव करण का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन देर रात 11 बजकर 55 मिनट पर हो रहा है। ज्योतिष बव करण को शुभ मानते हैं।

राखी बांधने का सही समय

सावन पूर्णिमा पर राखी बांधने का सही समय दोपहर 01 बजकर 32 मिनट से लेकर 04 बजकर 20 मिनट तक है। इसके बाद प्रदोष काल में शाम 06 बजकर 56 मिनट से लेकर 09 बजकर 08 मिनट तक है। बहनें अपनी सुविधा अनुसार समय पर 01 बजकर 32 मिनट के बाद भाइयों को राखी बांध सकती हैं।

पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 05 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट पर

चन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 54 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 36 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 30 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 18 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।