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Ram Katha: सबसे पहले किसे प्राप्त हुआ था राम कथा सुनने का सौभाग्य, यहां जानिए जवाब

रामायण महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखित एक संस्कृत ग्रंथ है। वहीं तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस अवधि भाषा में है। दोनों ही ग्रंथ राम भक्ति से ओतप्रोत हैं जिन्हें आज भी पूरी श्रद्धा के साथ पढ़ा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम कथा (Ram Katha in hindi) को सबसे पहले किसने सुना था। अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसका जवाब।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 20 Jun 2024 02:52 PM (IST)
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Ram Katha सबसे पहले किसने सुनी थी राम कथा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। श्रीरामचरितमानस और रामायण हिंदू धर्म के 2 प्रमुख ग्रंथ है। इन दोनों ही ग्रंथों में भगवान श्री राम के सम्पूर्ण जीवन का वर्णन मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि राम कथा सुनने मात्र से व्यक्ति के समस्त पाप कट जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि सर्वप्रथम राम कथा किसने और कैसे सुनी थी।

इस पक्षी ने सुनी कथा

देवी-देवताओं के अलावा सर्वप्रथम राम कथा सुनने का सौभाग्य किसी मानव को नहीं बल्कि एक कौए को प्राप्त हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब एक बार भगवान शिव राम कथा माता पार्वती को सुना रहे थे, तो उस समय वहां एक कौवा भी मौजूद था, जिसने वह राम कथा सुनी। उसी कौए का अगला जन्म काकभुशुण्डि के रूप में हुआ और उसे पिछले जन्म में शिव जी के मुख से सुनी हुई संपूर्ण राम कथा कण्ठस्थ थी।

काकभुशुण्डि के रूप में उसने यह कथा गिद्धराज गरुड़ को भी सुनाई। इसी प्रकार राम कथा का प्रचार-प्रसार होता गया। ऐसा कहा जाता है कि वाल्मीकि के रचना करने से पहले ही काकभुशुण्डि ने गरुड़ जी को राम कथा सुना दी थी। बता दें, कि भगवान शिव के मुख से निकली राम कथा को ‘अध्यात्म रामायण’ के नाम से जाना जाता है।

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कौन थे काकभुशुण्डि

ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, लोमश ऋषि के श्राप के कारण काकभुशुण्डि, कौवा बन गए। जब ऋषि को अपने दिए हुए श्राप पर पश्चाताप हुआ तब उन्होंने उस कौए को राम मंत्र और इच्छामृत्यु का वरदान भी दिया। राम जी की भक्ति प्राप्त होने के बाद काकभुशुण्डि को अपने कौए के शरीर से प्रेम हो गया और उन्होंने अपना पूरा जीवन एक कौए के रूप में ही राम जी की भक्ति करते हुए बीताया।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।