Move to Jagran APP

Ram Navami 2024 Date: साल 2024 में कब है राम नवमी? जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

Ram Navami 2024 Date ज्योतिषियों की मानें तो राम नवमी तिथि पर सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक पूजा का शुभ समय है। वहीं दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर मध्याह्न का समय है। आसान शब्दों में कहें तो दोपहर 12 बजकर 21 मिनट भगवान श्रीराम का जन्म समय है। अतः साधक इस समय में भगवान श्रीराम की पूजा उपासना कर सकते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 31 Dec 2023 04:42 PM (IST)
Hero Image
Ram Navami 2024 Date: साल 2024 में कब है राम नवमी? जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ram Navami 2024 Date: हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है। तदनुसार, साल 2024 में 17 अप्रैल को राम नवमी है। शास्त्रों में निहित है कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का अवतरण हुआ था। अतः इस दिन रामनवमी मनाई जाती है। इस तिथि पर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री की भी पूजा की जाती है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। अतः राम नवमी तिथि पर दोपहर के समय भगवान श्री राम की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्री राम की पूजा करने से व्यक्ति विशेष के जीवन में व्याप्त दुख और संकट हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं। साथ ही प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, राम नवमी की पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त जानते हैं-

यह पढ़ें: साल 2024 में कब-कब लगेंगे ग्रहण? यहां नोट करें तारीख और सूतक का समय

शुभ मुहूर्त :-

पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। अतः 17 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी।  

पूजा समय  :-

ज्योतिषियों की मानें तो राम नवमी तिथि पर सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक पूजा का शुभ समय है। वहीं, दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर मध्याह्न का समय है। आसान शब्दों में कहें तो दोपहर 12 बजकर 21 मिनट भगवान श्रीराम का जन्म समय है। अतः साधक इस समय में भगवान श्रीराम की पूजा उपासना कर सकते हैं।

पूजा विधि :-

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान श्रीराम और माता जानकी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। घर की साफ सफाई करें। घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्ते का तोरण लगाएं। साथ ही रंगोली बनाएं। इस दिन ध्वजा लगाया जाता है। अतः पूजा हेतु सारी तैयारी कर लें। इसके पश्चात, मध्यान पूर्व गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय अंजलि में जल लेकर आचमन करें और व्रत संकल्प लें। रामनवमी तिथि पर पीले रंग का नवीन वस्त्र धारण करें।

यह भी पढ़ें: जानें, कब, कहां, कैसे और क्यों की जाती है पंचक्रोशी यात्रा और क्या है इसकी पौराणिक कथा?

इसके बाद भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। तदोपरांत, पूजा गृह में चौकी पर लाल रंग या पीले रंग का वस्त्र बिछाकर राम परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। अब सबसे पहले आवाहन मंत्र का उच्चारण कर भगवान का ध्यान करें। पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान श्रीराम और माता जानकी, लक्ष्मण जी संग हनुमान जी की पूजा अर्चना करें। पूजा के समय राम चालीसा और राम स्त्रोत का पाठ करें। अंत में आरती कर भगवान श्रीराम से सुख-समृद्धि और धन में वृद्धि हेतु कामना करें। पूजा पाठ कर आरती कर फलाहार करें।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '