Ram Navami 2024: राम नवमी पर करें इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ, पूरे परिवार का होगा कल्याण
भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने से साधक को धैर्य का वरदान प्राप्त होता है। इससे व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट समय के साथ दूर हो जाते हैं। स्वयं भगवन श्रीराम ने भी विषम परिस्थिति में धैर्य का सहारा लेकर आदर्श प्रस्तुत किया था। इसके लिए शास्त्रों में भगवान श्रीराम को आदर्श पुरुष कहा गया है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 16 Apr 2024 07:43 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ram Navami 2024: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के अगले दिन राम नवमी मनाई जाती है। इस वर्ष 17 अप्रैल को राम नवमी है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की पूजा-उपासना की जाती है। शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में धर्म की स्थापना हेतु जगत के पालनहार भगवान विष्णु, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम रूप में अवतरित हुए थे। वाल्मीकि जी कृत रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जीवनी का वर्णन है। भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने से साधक को धैर्य का वरदान प्राप्त होता है। इससे व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट समय के साथ दूर हो जाते हैं। स्वयं भगवन श्रीराम ने भी विषम परिस्थिति में धैर्य का सहारा लेकर आदर्श प्रस्तुत किया था। इसके लिए शास्त्रों में भगवान श्रीराम को आदर्श पुरुष कहा गया है। अगर आप भी भगवान श्रीराम की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो राम नवमी पर श्रीराम परिवार की विधि-विधान से पूजा एवं साधना करें। साथ ही पूजा करते समय राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।
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राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra)
ध्यानम्ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥वामाङ्कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं ।नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम् ।स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥रामरक्षां पठॆत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज:॥कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल:॥जिव्हां विद्दानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक:॥करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय:॥सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तक: ।पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु:॥एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत् ।स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥
पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिण:।न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि:॥रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्द्दय:॥वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम्॥आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक:॥आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु:॥तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग सङिगनौ ।रक्षणाय मम रामलक्ष्मणा वग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥संनद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।गच्छन्मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण:॥रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम:॥वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम:।जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेय पराक्रम:॥
इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित: ।अश्वमेधायुतं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय:॥रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर:॥रामं लक्शमण पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् ।काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:॥श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र:।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र:।सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥लोकाभिरामं रनरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम् ।तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोSस्म्यहम् ।रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥यह भी पढ़ें: मंगल ग्रह मजबूत करने के लिए मंगलवार को जरूर करें ये 4 उपाय, सभी संकटों से मिलेगी निजात डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।