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Ram Ram: दो बार ही क्यों बोला जाता है 'राम-राम', जानिए क्या है इसका महत्व

Ram Ram सनातन धर्म में राम नाम का बहुत महत्व है। जीवन के हर पल और हर क्षण में राम का नाम शामिल रहता है। आपने कई लोगों को अभिवादन के तौर पर राम-राम कहते देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि राम-राम दो बार ही क्यों बोला जाता है। इसके पीछे भी एक रोचक कारण छिपा हुआ है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Wed, 28 Jun 2023 12:28 PM (IST)
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Ram Ram दो बार ही क्यों बोला जाता है 'राम-राम'।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Ram Ram: राम सबकी चेतना का सजीव नाम है। श्री राम अपने भक्तों को सुख और सौभाग्य का वरदान देते  हैं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है कि प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं उनमें सर्वाधिक श्रीफल देने वाला नाम राम का ही है। राम नाम सबसे सरल और सुरक्षित है। इसका जाप करने से मनुष्य को लक्ष्य की प्राप्ति जरूर होती है।

आप एक-एक मनके से गुजरते हुए जब 108 बार मंत्र को बोलते हैं, तब जाकर आपकी एक माला पूरी होती है। लेकिन 'राम-राम' शब्द इतना चमत्कारी है कि इसे बोलने से ही 108 बार राम के नाम का जाप हो जाता है। यानी 'राम-राम' साथ बोलना एक माला के जाप के समान है। आइए जानते हैं कैसे-

इसलिए दो बर बोला जाता है राम-राम

हिंदी शब्दावली के अनुसार, राम शब्द का पहला अक्षर यानी 'र' सत्ताइसवें स्थान पर आता है। वहीं दूसरा अक्षर 'आ' जो कि मात्रा के रूप में 'र' के साथ लगता है वह दूसरे स्थान पर आता है और 'म' पच्चीसवें स्थान पर आता है। इस प्रकार यदि इन सभी का जोड़ किया जाए तो वह 108 बनते हैं। इसे इस प्रकार समझिए-

र (27)+आ (2)+म (25)= राम (54) : र (27)+आ (2)+म (25)= राम (54) = राम राम (108)।

इसलिए अभिवादन करते समय दो बार राम राम बोलने की यह सभ्यता सालों से चली आ रही है। राम नाम का महत्व इतना अधिक है कि बच्चे के जन्म में श्री राम के नाम का सोहर होता है। विवाह आदि मांगलिक कार्यों के अवसर पर श्री राम के गीत गाए जाते हैं। यहां तक कि मनुष्य की अंतिम यात्रा में भी राम नाम का ही घोष किया जाता है। 

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'