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Rama Ekadashi 2024: ऐसे करना चाहिए एकादशी व्रत का पारण, जानें सही समय और नियम

रमा एकादशी का व्रत अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है। एकादशी प्रति माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। वहीं इस दिन (Rama Ekadashi 2024 Date) को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं तो आइए जानते हैं।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 27 Oct 2024 10:20 AM (IST)
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Rama Ekadashi 2024: एकादशी व्रत का पारण कैसे करें?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रमा एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस शुभ दिन पर श्री हरि के भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए सख्त उपवास रखते हैं और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 28 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से साधक को विष्णु जी के कृपा के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, इस दिन (Rama Ekadashi 2024) का कुछ लोग उपवास तो रखते,

लेकिन उसका पारण सही विधि से न करके व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो आइए जानते हैं कि कैसे एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए?

रमा एकादशी पारण समय (Ekadashi Vrat Parana Time)

हिंदू पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त (Ekadashi Shub Muhurat) 8 बजकर 11 मिनट से लेकर 9 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भक्त इस दौरान विष्णु जी की पूजा करें। वहीं, 29 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट से लेकर 08 बजकर 44 मिनट के बीच एकादशी व्रत का पारण कर सकते हैं, जो लोग इस व्रत (Ekadashi) का पालन करते हैं, उन्हें समय का खास ख्याल रखना चाहिए।

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एकादशी व्रत का पारण कैसे करें? (Ekadashi Vrat Parana Vidhi)

  • भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • फिर भगवान की पूजा शुरू करें, दीया जलाएं, तुलसी पत्र, फल, मिठाई, पंचामृत और सूखे मेवे आदि चीजें उन्हें अर्पित करें।
  • इसके बाद व्रती पूजा और उपवास में हुई गलती के लिए क्षमा याचना करें।
  • विभिन्न मंत्रों का जाप करें, विष्णु सहस्रनाम और श्री हरि स्तोत्र का भी पाठ करें।
  • आरती से पूजा का समापन करें।
  • प्रसाद का वितरण परिवार के सदस्य व अन्य लोगों में करें।
  • जरूरतमंदों को कुछ दान करें।
  • बड़ों का आशीर्वाद लें।
  • श्री हरि का ध्यान करते हुए फिर प्रसाद या तुलसी पत्र खाकर व्रत का पारण करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  • गलती से भी तामसिक चीजों को भोजन में शामिल न करें।

श्री हरि के मंत्र (Bhagwan Vishnu ji Ke Mantra)

1. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

2. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।

3. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् । वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।