Rama Ekadashi 2024: रमा एकादशी पर करें कान्हा की पूजा, घर में नहीं होगी धन की कमी
रमा एकादशी व्रत को बेहद शुभ माना गया है। एकादशी हर महीने मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन (Rama Ekadashi 2024 Date) श्री हरि की आराधना करने से भक्तों के जीवन में आ रही सभी प्रकार की मुश्किलें दूर हो जाती हैं। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व है, जो हर महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन श्री हरि की पूजा से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आप इस दिन अपनी किसी विशेष इच्छा की पूर्ति करने की कामना रखते हैं,या फिर धन की समस्या से लगातार जूझ रहे हैं, तो आपको इस मौके (Rama Ekadashi 2024 ) पर भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा करनी चाहिए। उन्हें माखन-मिश्री का भोग लगाना चाहिए।। इसके बाद 'कृष्ण चालीसा' का पाठ करना चाहिए।
अंत में आरती करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। बता दें, इस बार एकादशी का व्रत 28 अक्टूबर यानी आज रखा जा रहा है।
।।कृष्ण चालीसा (Krishna Chalisa)।।
॥ दोहा ॥बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बा फल,पिताम्बर शुभ साज॥
जय मनमोहन मदन छवि,कृष्णचन्द्र महाराज।करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥॥ चौपाई ॥जय यदुनन्दन जय जगवन्दन।जय वसुदेव देवकी नन्दन॥जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥जय नट-नागर नाग नथैया।कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।आओ दीनन कष्ट निवारो॥वंशी मधुर अधर धरी तेरी।
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो॥आओ हरि पुनि माखन चाखो।आज लाज भारत की राखो॥गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥रंजित राजिव नयन विशाला।मोर मुकुट वैजयंती माला॥कुण्डल श्रवण पीतपट आछे।कटि किंकणी काछन काछे॥नील जलज सुन्दर तनु सोहे।छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।आओ कृष्ण बाँसुरी वाले॥
करि पय पान, पुतनहि तारयो।अका बका कागासुर मारयो॥मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला।भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई।मसूर धार वारि वर्षाई॥लगत-लगत ब्रज चहन बहायो।गोवर्धन नखधारि बचायो॥लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥दुष्ट कंस अति उधम मचायो।कोटि कमल जब फूल मंगायो॥नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥करि गोपिन संग रास विलासा।सबकी पूरण करी अभिलाषा॥केतिक महा असुर संहारयो।कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।उग्रसेन कहं राज दिलाई॥महि से मृतक छहों सुत लायो।मातु देवकी शोक मिटायो॥भौमासुर मुर दैत्य संहारी।लाये षट दश सहसकुमारी॥दै भिन्हीं तृण चीर सहारा।जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥
असुर बकासुर आदिक मारयो।भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥दीन सुदामा के दुःख टारयो।तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥प्रेम के साग विदुर घर मांगे।दुर्योधन के मेवा त्यागे॥लखि प्रेम की महिमा भारी।ऐसे श्याम दीन हितकारी॥भारत के पारथ रथ हांके।लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥निज गीता के ज्ञान सुनाये।भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये॥मीरा थी ऐसी मतवाली।
विष पी गई बजाकर ताली॥राना भेजा सांप पिटारी।शालिग्राम बने बनवारी॥निज माया तुम विधिहिं दिखायो।उर ते संशय सकल मिटायो॥तब शत निन्दा करी तत्काला।जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।दीनानाथ लाज अब जाई॥तुरतहिं वसन बने नन्दलाला।बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥अस नाथ के नाथ कन्हैया।डूबत भंवर बचावत नैया॥
सुन्दरदास आस उर धारी।दयादृष्टि कीजै बनवारी॥नाथ सकल मम कुमति निवारो।क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥खोलो पट अब दर्शन दीजै।बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥॥ दोहा ॥यह चालीसा कृष्ण का,पाठ करै उर धारि।अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,लहै पदारथ चारि॥यह भी पढ़ें: Rama Ekadashi 2024: इस कथा को पढ़े बिना अधूरा रहता है रमा एकादशी का व्रत, पाठ मात्र से दूर होंगे सभी कष्ट
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