Ramayana: वेदवती कैसे बनी रावण के विनाश का कारण, सीता के रूप में हुआ अवतार
हिंदू धर्म में रामायण और रामचरितमानस के अलावा भी ऐसे कई ग्रंथ मिलते हैं जिसमें राम कथा का वर्णन मिलता है। लेकिन सभी कथाओं में कुछ-न-कुछ अंतर भी मिलता पाया जाता है। इसी प्रकार आज हम आपको एक अन्य पुराण में वर्णित एक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें रावण को मिले श्राप की कथा मिलती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामायण और श्रीरामचरित मानस में भगवान राम से संबंधित कथा मिलती है। आज हम आपको अन्य पुराणों में वर्णित एक ऐसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें यह बताया गया है कि माता सीता किसका अवतार थीं और वह किस तरह रावण के विनाश का कारण बनीं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में मिलती है कथा
ब्रह्मवैवर्त पुराण में माता सीता को वेदवती का अवतार बताया गया है। इसमें वर्णित कथा के अनुसार, वेदवती भगवान विष्णु की परम भक्त थी और वह उन्हें पति के रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थीं। तभी वहां से रावण गुजर रहा था, और उसकी नजर वेदवती पर पड़ी। वेदवती सुंदर थी, जिस कारण रावण उसपर मोहित हो गया और उसकी तपस्या भंग करने लगा।
वेदवती ने रावण को दिया ये श्राप
रावण वेदवती को अपने साथ ले जाने का प्रयास करने लगा। जिससे आहत होकर वेदवती ने अग्निकुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। अग्नि कुंड में कूदने से पहले वेदवती ने रावण को श्राप दिया की वही उसकी मृत्यु का कारण बनेगी।
यह भी पढ़ें - Sawan 2024: पुत्र वियोग में जब शिव जी को लेना पड़ा था ज्योति रूप, ऐसी है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की महिमा
इस तरह राजा जनक की पुत्री बनी सीता
मिथिला के राजा जनक के राज में कई वर्षों से वर्षा नहीं हो रही थी। जिस कारण सुखे की स्थिति पैदा हो गई थी। तब ऋषियों की सलाह पर राजा ने सोने का हल बनाकर स्वयं जमीन पर हल चलाया। इस दौरान उन्हें एक कलश मिला जिसमें से एक सुंदर कन्या निकली। क्योंकि राजा निसंतान थे, इसलिए उन्होंने उस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। ऐसा माना जाता है कि वेदवती का ही जन्म माता सीता के रूप में हुआ और श्राप के अनुसार, सीता जी ही रावण की मत्यु का कारण बनी।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।