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विरले ही जन्म लेते हैं ऐसे संत

निर्वाण पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी विश्वदेवानंद महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि ऐसे संत विरले ही जन्म लेते हैं। उनकी कमी को शायद ही पूरा किया जा सकेगा। श्रीयंत्र मंदिर में रखे उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने के लिए महामंडलेश्वर दाती महाराज के साथ देश के कौने कौने से संत पहुं

By Edited By: Updated: Fri, 10 May 2013 12:13 PM (IST)
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हरिद्वार। निर्वाण पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी विश्वदेवानंद महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि ऐसे संत विरले ही जन्म लेते हैं। उनकी कमी को शायद ही पूरा किया जा सकेगा। श्रीयंत्र मंदिर में रखे उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने के लिए महामंडलेश्वर दाती महाराज के साथ देश के कौने कौने से संत पहुंचे हुए थे।

मंगलवार शाम से ही श्रीयंत्र मंदिर में ब्रह्मलीन स्वामी विश्वदेवानंद महाराज को श्रद्धांजलि देने के लिए संतों का हुजुम उमड़ा हुआ था। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि महज 28 साल की आयु में ही उनके कंधों पर आचार्य महामंडलेश्वर का पदभार आ गया था। जिसे उन्होंने बड़ी ही सहजता के साथ निभाया है। स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी विश्वदेवानंद महाराज के अचानक ब्रहमलीन होने से पूरा संत समाज आहत है। उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों में महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज, महंत रामानंदपुरी, स्वामी चिन्मयानंद, सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, महंत मोहनदास, महंत ललितानंद गिरी, स्वामी शरदपुरी, स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती, स्वामी मारतण्डपुरी, महामंडलेश्वर अजरुन पुरी, महंत ईश्वरदास, प्रखर जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी विभानंद पुरी, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पुण्यानंद गिरी, महंत जगदीश पुरी, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे।

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