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Ravi Pradosh Vrat 2023: रवि प्रदोष व्रत पर इस विशेष समय करें पूजा, खुल जाएंगे भाग्य, जानें पूजा स्तुति और समय

Ravi Pradosh Vrat 2023 रवि प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी आज मनाया जाएगा।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 10 Dec 2023 09:55 AM (IST)
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Ravi Pradosh Vrat 2023: रवि प्रदोष व्रत

धर्म डेस्क,नई दिल्ली। Ravi Pradosh Vrat 2023: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बेहद खास महत्व है। यह दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर व्रती उपवास रखते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। रविवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी आज मनाया जाएगा।

रवि प्रदोष व्रत 2023: तिथि और समय

त्रयोदशी तिथि आरंभ - 10 दिसंबर 2023 - 07:13 से

त्रयोदशी तिथि समाप्त - 11 दिसंबर 2023 - सुबह 07:10 बजे

शिव पूजा का शुभ समय - 10 दिसंबर 2023 - शाम 05:08 बजे से शाम 07:45 बजे तक

''शिव पूजा स्तुति''

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

ईशगिरीश नरेश परेश महेश बिलेशय भूषण भो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

उमया दिव्य सुमङ्गल विग्रह यालिङ्गित वामाङ्ग

विभो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

ऊरी कुरु मामज्ञमनाथं दूरी कुरु मे दुरितं भो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

ॠषिवर मानस हंस चराचर जनन स्थिति लय कारण भो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

अन्तः करण विशुद्धिं भक्तिं च त्वयि सतीं प्रदेहि विभो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

करुणा वरुणा लय मयिदास उदासस्तवोचितो न हि भो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

जय कैलास निवास प्रमाथ गणाधीश भू सुरार्चित भो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

झनुतक झङ्किणु झनुतत्किट तक शब्दैर्नटसि महानट

भो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

धर्मस्थापन दक्ष त्र्यक्ष गुरो दक्ष यज्ञशिक्षक

भो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

बलमारोग्यं चायुस्त्वद्गुण रुचितं चिरं प्रदेहि

विभो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

शर्व देव सर्वोत्तम सर्वद दुर्वृत्त गर्वहरण

विभो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

भगवन् भर्ग भयापह भूत पते भूतिभूषिताङ्ग विभो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

षड्रिपु षडूर्मि षड्विकार हर सन्मुख षण्मुख जनक

विभो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्मे त्येल्लक्षण लक्षित

भो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

हाऽहाऽहूऽहू मुख सुरगायक गीता पदान पद्य विभो।

साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥

         ।।श्री शङ्कराचार्य कृतं।।

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