Ravi Pradosh Vrat 2024: भगवान शंकर को भूलकर भी न चढ़ाएं ये चीजें, बन सकते हैं पाप के भागीदार!
प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh Vrat 2024) महीने में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान मनाया जाता है। इसका अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। ऐसी मान्यता है इस व्रत को करने से जीवन के अंधकार और बाधाओं को दूर किया जा सकता है। साथ ही इस विशेष तिथि पर भोलेनाथ की पूजा करने से सफलता की प्राप्ति होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ravi Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत एक अत्यंत शुभ व्रत है, जो देवों के देव महादेव को समर्पित है। यह महीने में दो बार शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान मनाया जाता है। इसका अर्थ है अंधकार को समाप्त करना। ऐसी मान्यता है इस व्रत को करने से जीवन के अंधकार और बाधाओं को दूर किया जा सकता है। साथ ही इस विशेष तिथि पर भोलेनाथ की पूजा करने से सफलता की प्राप्ति होती है।
साथ ही जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। इसका उपवास सूर्योदय से शुरू होता है और पूजा के बाद सूर्यास्त तक चलता है। व्रत के दौरान सात्विक आहार की सलाह दी जाती है और तामसिक चीजों की मनाही होती है।
हर मायने में खास है प्रदोष व्रत
आज 5 मई, 2024 को पहला प्रदोष व्रत वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जा रहा है। रविवार के दिन पड़ने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसका सीधा संबंध भगवान सूर्य से होता है। इस दिन को अपने आप में खास माना गया है। इस दौरान की जाने वाली आराधना का फल तुरंत फल प्राप्त होता है इसलिए लोग इस दिन का उपवास भाव के साथ करते हैं।
इस दिन हल्दी अर्पित न करें
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को हल्दी न चढ़ाएं। शिवलिंग का संबंध पुरुषत्व से माना जाता है, इसलिए शिवलिंग पर हल्दी का तिलक नहीं लगाना चाहिए। मान्यताओं अनुसार, शिव जी को पर बेलपत्र, दूध, भांग, गंगाजल, चंदन और भस्म चढ़ा सकते हैं।न चढ़ाएं ये चीजें
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर को नारियल का पानी, शंख का जल, केतकी के फूल, तुलसी के पत्ते, कुमकुम या सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इन चीजों को चढ़ाने से भगवान शंकर नाराज होते हैं।
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