Move to Jagran APP

Ravi Pradosh Vrat 2024: प्रदोष काल में इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, यहां जानिए व्रत का सही नियम

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन शिव जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। मई माह का पहला प्रदोष व्रत 5 मई (Ravi Pradosh Vrat 2024) को रखा जाएगा। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शंकर की उपासना करने से जीवन के दुखों का अंत होता है। इसके साथ ही सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 02 May 2024 10:29 AM (IST)
Hero Image
Ravi Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष उपवास के नियम
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ravi Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत महीने में दो बार मनाया जाता है। यह दिन भगवान शंकर की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस पवित्र दिन का उपवास रखने से खुशी, स्वास्थ्य, सफलता और मुक्ति का वरदान मिलता है। वैशाख माह का पहला प्रदोष 5 मई, 2024 दिन रविवार को रखा जाएगा।

रविवार के दिन पड़ने की वजह से इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है, जिसका सीधा संबंध सूर्य ग्रह से भी है, तो आइए इस खास दिन से जुड़ी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, व्रत नियम के बारे में जानते हैं -

रवि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 मई, 2024 दिन रविवार शाम 05 बजकर 41 मिनट से वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत हो जाएगी। यह 6 मई, 2024 दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 40 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि को देखते हुए इस बार प्रदोष व्रत 5 मई, 2024 को रखा जाएगा।

इस दिन प्रदोष काल शाम 6 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 18 मिनट तक होगा। बता दें, रवि प्रदोष की पूजा प्रदोष काल में ज्यादा फलदायी होती है।

रवि प्रदोष उपवास के नियम

  • व्रती तामसिक चीजों का सेवन न करें।
  • इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें।
  • भगवान शिव की पूजा विधि अनुसार करें।
  • इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
  • व्रती नमक का सेवन न करें।
  • किसी के बारे में गलत विचार मन में न लाएं।
  • व्रत में सिर्फ फल और जल का ही सेवन करें।

प्रदोष काल में इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा

  • व्रती सूर्यास्त के बाद स्नान पवित्र स्नान करें।
  • मंदिर को अच्छी तरह से साफ कर लें।
  • एक वेदी पर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें।
  • शिव जी का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
  • चंदन, फूल, बेलपत्र और धतूरा आदि चीजें अर्पित करें।
  • शिव जी के समक्ष दीपक और धूप जलाएं।
  • प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें और पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें।
  • भोलेनाथ को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • आरती से पूजा का समापन करें।
यह भी पढ़ें: Varuthini Ekadashi 2024: वरुथिनी एकादशी पर इन शुभ योग के दौरान करें भगवान विष्णु की पूजा, मिलेगा व्रत का पूरा फल

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'