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Surya Dev Puja: सूर्य देव की पूजा से सभी समस्या का होगा अंत, रविवार को करें ये काम

रविवार के दिन सूर्य भगवान की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो साधक रविवार के दिन का उपवास करते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं उन्हें सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही सूर्य जैसा तेज प्राप्त होता है। इसलिए इस शुभ दिन पर भगवान सूर्य की पूजा (Surya Dev Pujan) जरूर करें।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 20 Oct 2024 06:30 AM (IST)
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Surya Dev Puja: सूर्य देव की आरती।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में भगवान सूर्य की पूजा को बहुत ही फलदायी और मंगलकारी माना जाता है। रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग रविवार के दिन का उपवास रखते हैं और भाव के साथ भगवान सूर्य की आराधना करते हैं, उन्हें सूर्य नारायण की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में भोर में उठकर स्नान के बाद जल में गुड़, रोली, गुड़हल और अक्षत मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।

इसके बाद श्रद्धापूर्वक आरती करें। ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही अपार यश और धन मिलेगा, तो आइए यहां सूर्य देव की आरती पढ़ते हैं -

।।सूर्य देव की आरती।। (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti)

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।