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Bada Mangal 2024: दूसरे बड़े मंगल पर पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ, सभी दुखों से मिलेगा छुटकारा

सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ माह के पहले मंगलवार पर त्रेता युग में हनुमान जी की भेंट भगवान श्रीराम से हुई थी। अतः ज्येष्ठ माह के हर मंगलवार पर राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि बड़ा मंगल पर हनुमान जी की पूजा करने से साधक को अतुल बल और साहस की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 04 Jun 2024 09:00 AM (IST)
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Bada Mangal 2024: दूसरे बड़े मंगल पर पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bada Mangal 2024: ज्येष्ठ माह के हर मंगलवार को बुढ़वा या बड़ा मंगल मनाया जाता है। यह दिन राम भक्त हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के भक्त हनुमान जी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही मंगलवार का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि बड़ा मंगल पर हनुमान जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल और अतुल बल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजयश्री प्राप्त होती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुखों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो ज्येष्ठ माह के दूसरे बड़े मंगल पर विधिपूर्वक राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस चमत्कारी चालीसा का पाठ करें।

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बालाजी चालीसा

॥ दोहा ॥

श्री गुरु चरण चितलाय,के धरें ध्यान हनुमान।

बालाजी चालीसा लिखे,दास स्नेही कल्याण॥

विश्व विदित वर दानी,संकट हरण हनुमान।

मैंहदीपुर में प्रगट भये,बालाजी भगवान॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान बालाजी देवा।

प्रगट भये यहां तीनों देवा॥

प्रेतराज भैरव बलवाना।

कोतवाल कप्तानी हनुमाना॥

मैंहदीपुर अवतार लिया है।

भक्तों का उध्दार किया है॥

बालरूप प्रगटे हैं यहां पर।

संकट वाले आते जहाँ पर॥

डाकनि शाकनि अरु जिन्दनीं।

मशान चुड़ैल भूत भूतनीं॥

जाके भय ते सब भाग जाते।

स्याने भोपे यहाँ घबराते॥

चौकी बन्धन सब कट जाते।

दूत मिले आनन्द मनाते॥

सच्चा है दरबार तिहारा।

शरण पड़े सुख पावे भारा॥

रूप तेज बल अतुलित धामा।

सन्मुख जिनके सिय रामा॥

कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा।

सबकी होवत पूर्ण आशा॥

महन्त गणेशपुरी गुणीले।

भये सुसेवक राम रंगीले॥

अद्भुत कला दिखाई कैसी।

कलयुग ज्योति जलाई जैसी॥

ऊँची ध्वजा पताका नभ में।

स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में॥

धर्म सत्य का डंका बाजे।

सियाराम जय शंकर राजे॥

आन फिराया मुगदर घोटा।

भूत जिन्द पर पड़ते सोटा॥

राम लक्ष्मन सिय ह्रदय कल्याणा।

बाल रूप प्रगटे हनुमाना॥

जय हनुमन्त हठीले देवा।

पुरी परिवार करत हैं सेवा॥

लड्डू चूरमा मिश्री मेवा।

अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा॥

दया करे सब विधि बालाजी।

संकट हरण प्रगटे बालाजी॥

जय बाबा की जन जन ऊचारे।

कोटिक जन तेरे आये द्वारे॥

बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा।

तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा॥

देवन विनती की अति भारी।

छाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी॥

लांघि उदधि सिया सुधि लाये।

लक्ष्मन हित संजीवन लाये॥

रामानुज प्राण दिवाकर।

शंकर सुवन माँ अंजनी चाकर॥

केशरी नन्दन दुख भव भंजन।

रामानन्द सदा सुख सन्दन॥

सिया राम के प्राण पियारे।

जब बाबा की भक्त ऊचारे॥

संकट दुख भंजन भगवाना।

दया करहु हे कृपा निधाना॥

सुमर बाल रूप कल्याणा।

करे मनोरथ पूर्ण कामा॥

अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी।

भक्त जन आवे बहु भारी॥

मेवा अरु मिष्ठान प्रवीना।

भैंट चढ़ावें धनि अरु दीना॥

नृत्य करे नित न्यारे न्यारे।

रिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे॥

अर्जी का आदेश मिलते ही।

भैरव भूत पकड़ते तबही॥

कोतवाल कप्तान कृपाणी।

प्रेतराज संकट कल्याणी॥

चौकी बन्धन कटते भाई।

जो जन करते हैं सेवकाई॥

रामदास बाल भगवन्ता।

मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता॥

जो जन बालाजी में आते।

जन्म जन्म के पाप नशाते॥

जल पावन लेकर घर जाते।

निर्मल हो आनन्द मनाते॥

क्रूर कठिन संकट भग जावे।

सत्य धर्म पथ राह दिखावे॥

जो सत पाठ करे चालीसा।

तापर प्रसन्न होय बागीसा॥

कल्याण स्नेही, स्नेह से गावे।

सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे॥

॥ दोहा ॥

मन्द बुद्धि मम जानके,क्षमा करो गुणखान।

संकट मोचन क्षमहु मम,दास स्नेही कल्याण॥

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