Kokila Vrat 2023: कोकिला व्रत पर करें पार्वती चालीसा का पाठ और आरती, घर में आएगी सुख और समृद्धि
Kokila Vrat 2023 धार्मिक मान्यता है कि कोकिला व्रत करने से विवाहित स्त्रियों को सुख सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही पति की आयु लंबी होती है। वहीं अविवहित लड़कियों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। अतः महिलाएं कोकिला व्रत रख विधि विधान से देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 02 Jul 2023 10:26 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Kokila Vrat 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, आज कोकिला व्रत है। कोकिला व्रत करने से विवाहित स्त्रियों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही पति की आयु लंबी होती है। वहीं, अविवहित लड़कियों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। अतः महिलाएं कोकिला व्रत रख विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। अगर आप भी महादेव और माता पार्वती का आशीर्वाद पाना चाहती हैं, तो कोकिला व्रत के दिन पूजा के समय पार्वती चालीसा का पाठ और आरती करें। आइए, पार्वती चालीसा का पाठ करें-
पार्वती चालीसा
दोहाजय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।
गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि।चौपाई
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे।षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो।।तेऊ पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हिय सजाता।अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे।।
ललित ललाट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत् शोभा मनहर।कनक बसन कंचुकि सजाए, कटी मेखला दिव्य लहराए।।कंठ मंदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभा।बालारुण अनंत छबि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी।।नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजति हरि चतुरानन।इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित।।गिर कैलास निवासिनी जय जय, कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय।
त्रिभुवन सकल कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी।।हैं महेश प्राणेश तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे।उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब।।बूढ़ा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी।सदा श्मशान बिहारी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर।।कण्ठ हलाहल को छबि छायी, नीलकण्ठ की पदवी पायी।देव मगन के हित अस किन्हो, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो।।
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी।देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो।।भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा।सौत समान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी।।तेहि कों कमल बदन मुरझायो, लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो।नित्यानंद करी बरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी।।अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनी, माहेश्वरी, हिमालय नन्दिनी।
काशी पुरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी।।भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री।रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करि अवलम्बे।।गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली।सब जन की ईश्वरी भगवती, पतिप्राणा परमेश्वरी सती।।तुमने कठिन तपस्या कीनी, नारद सों जब शिक्षा लीनी।अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा।।
पत्र घास को खाद्य न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ।तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे।।तब तव जय जय जय उच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ।सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए।।मांगे उमा वर पति तुम तिनसों, चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों।एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए।करि विवाह शिव सों भामा, पुनः कहाई हर की बामा।
जो पढ़ी है जन यह चालीसा, धन जन सुख देइ है तेहि ईसा।।दोहाकूटि चंद्रिका सुभग शिर, जयति जयति सुख खानि,पार्वती निज भक्त हित, रहहु सदा वरदानि।माता पार्वती जी की आरतीजय पार्वती माता जय पार्वती माताब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुणगु गाता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथादेव वधुजहं गावत नृत्य कर ताथा।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाताहेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।शुम्भ निशुम्भ विदारेहेमांचल स्यातासहस भुजा तनुधरिके चक्र लियो हाथा।
जय पार्वती माता जय पार्वती माता।सृष्टि रूप तुही जननी शिव संग रंगरातानंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।देवन अरज करत हम चित को लातागावत दे दे ताली मन मेंरंगराता।जय पार्वती माता जय पार्वती माता।श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गातासदा सुखी रहता सुख संपति पाता।जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।
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