Mangal Stotra: मंगलवार को पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ और मंत्रों का जाप, पूरी होगी मनचाही मुराद
ज्योतिष भी कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत करने हेतु मंगलवार के दिन विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। कुंडली में मंगल मजबूत रहने से करियर और कारोबार में शुभ फल प्राप्त होता है। वहीं हनुमान जी की पूजा करने से मांगलिक प्रभाव भी कम होता है। अतः मंगलवार के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम परिवार संग हनुमान जी की पूजा अवश्य करें।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 01 Jan 2024 05:36 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mangal Stotra: मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन हनुमान जी संग ग्रहों के सेनापति मंगल देव की पूजा की जाती है। ज्योतिष भी कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत करने हेतु मंगलवार के दिन विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। कुंडली में मंगल मजबूत रहने से करियर और कारोबार में शुभ फल प्राप्त होता है। वहीं, हनुमान जी की पूजा करने से मांगलिक प्रभाव भी कम होता है। अतः मंगलवार के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम परिवार संग हनुमान जी की पूजा अवश्य करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जाप और मंगल स्तोत्र का पाठ करें।
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मंगल वैदिक मंत्र
ऊँ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम अपा रेता सिजिन्नवति।मंगल तांत्रिक मंत्र
ऊँ हां हंस: खं ख:
ऊँ हूं श्रीं मंगलाय नम:ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:मंगल एकाक्षरी बीज मंत्रऊँ अं अंगारकाय नम:ऊँ भौं भौमाय नम:।।मंगल ग्रह मंत्रऊँ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम ।कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।मंगल गायत्री मंत्रॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्।।
मंगल ग्रह कवचरक्तांबरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्भुजो मेषगमो गदाभृत् ।धरासुतः शक्तिधरश्च शूली सदा ममस्याद्वरदः प्रशांतः ॥अंगारकः शिरो रक्षेन्मुखं वै धरणीसुतः ।श्रवौ रक्तांबरः पातु नेत्रे मे रक्तलोचनः ॥
नासां शक्तिधरः पातु मुखं मे रक्तलोचनः ।भुजौ मे रक्तमाली च हस्तौ शक्तिधरस्तथा ॥वक्षः पातु वरांगश्च हृदयं पातु लोहितः।कटिं मे ग्रहराजश्च मुखं चैव धरासुतः ॥जानुजंघे कुजः पातु पादौ भक्तप्रियः सदा ।सर्वण्यन्यानि चांगानि रक्षेन्मे मेषवाहनः ॥या इदं कवचं दिव्यं सर्वशत्रु निवारणम् ।भूतप्रेतपिशाचानां नाशनं सर्व सिद्धिदम् ॥सर्वरोगहरं चैव सर्वसंपत्प्रदं शुभम् ।
भुक्तिमुक्तिप्रदं नृणां सर्वसौभाग्यवर्धनम् ॥रोगबंधविमोक्षं च सत्यमेतन्न संशयः ॥मंगल स्तोत्रधरणीगर्भसंभूतं विद्युतेजसमप्रभम ।कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम ।।ऋणहर्त्रे नमस्तुभ्यं दु:खदारिद्रनाशिने ।
नमामि द्योतमानाय सर्वकल्याणकारिणे ।।देवदानवगन्धर्वयक्षराक्षसपन्नगा: ।सुखं यान्ति यतस्तस्मै नमो धरणि सूनवे ।।यो वक्रगतिमापन्नो नृणां विघ्नं प्रयच्छति ।पूजित: सुखसौभाग्यं तस्मै क्ष्मासूनवे नम:।।प्रसादं कुरु मे नाथ मंगलप्रद मंगल ।मेषवाहन रुद्रात्मन पुत्रान देहि धनं यश:।।यह भी पढ़ें: जानें, क्यों अंक शास्त्र में 24 नंबर को माना जाता है शुभ और क्या है इसका धार्मिक महत्व?
डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
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