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Mangal Dosh Upay: मंगलवार के दिन पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, मंगल दोष से मिलेगी निजात

ज्योतिषियों की मानें तो जातक की कुंडली में एक से लेकर द्वादश भाव के मध्य प्रथम चतुर्थ सप्तम अष्टम और द्वादश भाव में मंगल रहने पर जातक मांगलिक कहलाता है। इस दोष से पीड़ित जातक की शादी में बाधा आती है। इसके लिए ज्योतिष मांगलिक जातक को मंगल दोष से पीड़ित जातक से ही विवाह करने की सलाह देते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Tue, 02 Jul 2024 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2024 09:00 AM (IST)
Mangal Dosh Upay: मंगल दोष कैसे लगता है ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mangal Dosh Upay: सनातन धर्म में मंगलवार के दिन राम भक्त हनुमान जी की पूजा की जाती है। साथ ही मंगलवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी प्रकार के दुख, संकट और भय से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, शत्रुओं पर भी विजयश्री प्राप्त होती है। ज्योतिषियों की मानें तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से मंगल दोष भी दूर होता है। इस दोष के चलते विवाह में बाधा आती है। अगर आप भी मंगल दोष से निजात पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन विधि पूर्वक हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ करें।

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शिव मंगला अष्टकम

भवाय चन्द्रचूडाय निर्गुणाय गुणात्मने ।

कालकालाय रुद्राय नीलग्रीवाय मङ्गलम् ॥

वृषारूढाय भीमाय व्याघ्रचर्माम्बराय च ।

पशूनां पतये तुभ्यं गौरीकान्ताय मङ्गलम् ॥

भस्मोद्धूलितदेहाय व्यालयज्ञोपवीतिने ।

रुद्राक्षमालाभूषाय व्योमकेशाय मङ्गलम् ॥

सूर्यचन्द्राग्निनेत्राय नमः कैलासवासिने ।

सच्चिदानन्दरूपाय प्रमथेशाय मङ्गलम् ॥

मृत्युंजयाय सांबाय सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे ।

त्र्यंबकाय सुशान्ताय त्रिलोकेशाय मङ्गलम् ॥

गंगाधराय सोमाय नमो हरिहरात्मने ।

उग्राय त्रिपुरघ्नाय वामदेवाय मङ्गलम् ॥

सद्योजाताय शर्वाय दिव्यज्ञानप्रदायिने ।

ईशानाय नमस्तुभ्यं पञ्चवक्त्राय मङ्गलम् ॥

सदाशिवस्वरूपाय नमस्तत्पुरुषाय च ।

अघोराय च घोराय महादेवाय मङ्गलम् ॥

मङ्गलाष्टकमेतद्वै शंभोर्यः कीर्तयेद्दिने ।

तस्य मृत्युभयं नास्ति रोगपीडाभयं तथा ॥

हनुमत् मंगलाष्टक

भास्वद्वानररूपाय वायुपुत्राय धीमते ।

अञ्जनीगर्भजाताय आञ्जनेयाय मङ्गलम् ॥

सूर्यशिष्याय शूराय सूर्यकोटिप्रकाशिने ।

सुरेन्द्रादिभिर्वन्द्याय आञ्जनेयाय मङ्गलम् ॥

रामसुग्रीवसन्धात्रे रामायार्पितचेतसे ।

रामनामैक निष्ठाय राममित्राय मङ्गलम् ॥

मनोजवेन गन्त्रे च समुद्रोल्लङ्घनाय च ।

मैनाकार्चितपादाय रामदूताय मङ्गलम् ॥

निर्जित सुरसायास्मै संहृतसिंहिकासवे ।

लङ्किणीगर्वभङ्गाय रामदूताय मङ्गलम् ॥

हृतलङ्केशगर्वाय लङ्कादहनकारिणे ।

सीताशोकविनाशाय रामदूताय मङ्गलम् ॥

भीभत्सरणरङ्गाय दुष्टदैत्य विनाशिने ।

रामलक्ष्मणवाहाय रामभृत्याय मङ्गलम् ॥

धृतसञ्जीवहस्ताय कृतलक्ष्मणजीविने ।

भृतलङ्कासुरार्ताय रामभटाय मङ्गलम् ॥

जानकीरामसन्धात्रे जानकीह्लादकारिणे ।

हृत्प्रतिष्ठितरामाय रामदासाय मङ्गलम् ॥

रम्ये धर्मपुरीक्षेत्रे नृसिंहस्य च मन्दिरे ।

विलसद् रामनिष्ठाय वायुपुत्राय मङ्गलम् ॥

गायन्तं राम रामेति भक्तं तं रक्षकाय च ।

श्री प्रसन्नाञ्जनेयाय वरदात्रे च मङ्गलम् ॥

विश्वलोकसुरक्षाय विश्वनाथनुताय च ।

श्रीप्रसन्नाञ्जनेयाय वरदात्रे च मङ्गलम् ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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