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Brihaspati Dev Ji Ki Aarti: इस आरती के बिना अधूरी है बृहस्पति देव की पूजा, बन जाते हैं सारे बिगड़े काम

धार्मिक मत है कि भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के जीवन में सुखों का आगमन होता है। इसके साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा भगवान विष्णु की कृपा भी बरसती है। अतः साधक भक्ति भाव से गुरुवार के दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। साथ ही महिलाएं गुरुवार का व्रत रखती हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 13 Nov 2024 09:11 PM (IST)
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Brihaspati Dev Ji Ki Aarti: कैसे बृहस्पति देव को करें प्रसन्न ?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को ज्ञान का कारक माना जाता है। देवगुरु बृहस्पति की कृपा बरसने से जातक गुणवान और प्रतिभावान बनता है। साथ ही जातक न्याय के मार्ग पर अग्रसर रहता है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु मजबूत रहने से जातक अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। इसके अलावा, करियर और कारोबार को नया आयाम मिलता है। अतः साधक श्रद्धा भाव से गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति एवं भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। वहीं, विवाहित एवं अविवाहित महिलाएं गुरुवार के दिन व्रत रखती हैं। इस व्रत में बृहस्पति देव की पूजा की जाती है। अगर आप भी देवगुरु बृहस्पति की कृपा के भागी बनना चाहते हैं और मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। इस समय गुरुवार व्रत कथा का पाठ करें। वहीं, पूजा का समापन इस आरती से करें।

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बृहस्पति देव की आरती

जय बृहस्पति देवा, ऊँ जय बृहस्पति देवा ।

छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।

विषय विकार मिटा‌ओ, संतन सुखकारी ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥

जो को‌ई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।

जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥

ऊँ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा ॥

सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।

बोलो बृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥

आरती के लाभ 

धार्मिक मत है कि गुरुवार का व्रत रखने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही घर में सुख एवं समृद्धि का आगमन होता है। इसके अलावा, जीवन में व्याप्त दुखों से भी छुटकारा मिलता है। साथ ही पद-प्रतिष्ठा में समय के साथ वृद्धि होती है। भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। अतः आरती समापन के समय भगवान विष्णु से सुख, समृद्धि एवं धन में वृद्धि की कामना करें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।