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Pitru Paksha 2023: रोजाना पूजा के समय करें इस कवच का पाठ, पितृ दोष से मिलेगी राहत

Pitru Paksha 2023 सनातन शास्त्रों में निहित है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा धरती लोक पर आती है। अतः पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पितरों के आशीर्वाद से जातक अपने जीवन में तरक्की और उन्नति की मार्ग पर अग्रसर रहता है। वहीं पितरों के अप्रसन्न होने पर व्यक्ति को जीवन में ढ़ेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 27 Jun 2023 03:11 PM (IST)
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Pitru Paksha 2023: रोजाना पूजा के समय करें इस कवच का पाठ, पितृ दोष से मिलेगी राहत
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Pitru Paksha 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तिथि तक पितरों की पूजा-उपासना की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा धरती लोक पर आती है। अतः पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पितरों के आशीर्वाद से जातक अपने जीवन में तरक्की और उन्नति की मार्ग पर अग्रसर रहता है। वहीं, पितरों के अप्रसन्न होने पर व्यक्ति को जीवन में ढ़ेर सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अतः रोजाना पितरों की पूजा करनी चाहिए। अगर आप भी पितृ दोष से पीड़ित हैं, तो राहत पाने के लिए रोजाना स्नान-ध्यान के बाद दक्षिण दिशा में मुख कर पितरों को जल का अर्घ्य दें। इस समय पितृ कवच और पितृ स्त्रोत का पाठ अवश्य करें। आइए, पितृ कवच का पाठ करते हैं-

पितृ कवच

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।

तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥

तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।

तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥

प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।

यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥

उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।

यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥

ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।

अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

पितृ स्तोत्र

अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।

नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।

सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।

मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।

तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।

द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।

देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।

अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।

प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।

योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।

स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।

सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।

नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।

अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।

ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।

जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।

तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।

नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।

पितृ दोष दूर करने के लिए मंत्र

1. ॐ पितृ देवतायै नम:

2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।

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