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Budh Pradosh Vrat 2024: भगवान शिव की पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2024) कहलाएगा। यह पर्व हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। बुध प्रदोष व्रत करने से साधक को इच्छित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। व्रती त्रयोदशी तिथि पर व्रत रख विधि विधान से शिव परिवार की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Tue, 18 Jun 2024 02:45 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2024 02:45 PM (IST)
Budh Pradosh Vrat 2024: कब है बुध प्रदोष व्रत?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Budh Pradosh Vrat 2024: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 19 जून को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। सनातन धर्म में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त प्रदोष व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत का पुण्य फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। बुध प्रदोष व्रत करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही बुद्धि और विवेक में भी बढ़ोतरी होती है। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो बुध प्रदोष व्रत पर विधि-विधान से शिव परिवार की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। इस स्तोत्र के पाठ से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

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शिव प्रदोष स्तोत्र

जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत ।

जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ।।

जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।

जय नित्यनिराधार जय विश्वम्भराव्यय ।।

जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।

जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ।।

जय कोट्यर्कसंकाश जयानन्तगुणाश्रय ।

जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरंजन ।।

जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन ।

जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ।।

प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यत: ।

सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ।।

महादारिद्रयमग्नस्य महापापहतस्य च ।

महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ।।

ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभि: ।

ग्रहै: प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंकर ।।

दरिद्र: प्रार्थयेद् देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ।

अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद् देवमीश्वरम् ।।

दीर्घमायु: सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नति: ।

ममस्तु नित्यमानन्द: प्रसादात्तव शंकर ।।

शत्रव: संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजा: ।

नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जना: सन्तु निरापद: ।।

दुर्भिक्षमारिसंतापा: शमं यान्तु महीतले ।

सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात् सुखमया दिश: ।।

एवमाराधयेद् देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् ।

ब्राह्मणान् भोजयेत् पश्चाद् दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ।।

सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारिणी ।

शिवपूजा मयाख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा ।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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