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Shanichari Amavasya 2023: शनिश्चरी अमावस्या पर इस समय करें शनि स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सभी दुख और संताप

Shanichari Amavasya 2023 धार्मिक मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या तिथि पर शनि देव की पूजा-अर्चना करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। इसके अलावा पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप भी शनि देव की कृपा पाना चाहते हैं तो शनिश्चरी अमावस्या तिथि पर शनि स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 10 Oct 2023 03:28 PM (IST)
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Shanichari Amavasya 2023: शनिश्चरी अमावस्या पर इस समय करें शनि स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सभी दुख और संताप
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Shanichari Amavasya 2023: हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाती है। इस वर्ष 14 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनिश्चरी अमावस्या भी कहलाएगी। शनिश्चरी अमावस्या न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन शनि देव की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही अमावस्या तिथि पर दान-पुण्य भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि शनिश्चरी अमावस्या तिथि पर शनि देव की पूजा-अर्चना करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। इसके अलावा, पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर आप भी शनि देव की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनिश्चरी अमावस्या तिथि पर पूजा के समय शनि स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। आइए, शनि स्तोत्र का पाठ और शनि मंत्र का जाप करें-

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शनि स्त्रोत

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।

नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।

नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।

नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।

सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।

नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।

नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।

तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।

त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।

एवं स्तुतस्तद सौरिग्रहराजो महाबल:।।

शनि मंत्र

नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् |

चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||

शनि महामंत्र

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

शनि गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

शनि दोष निवारण मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।

ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।

स्वास्थ्य हेतु शनि मंत्र

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

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