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Shree Mahalaxmi Stotram: आर्थिक तंगी को करना चाहते हैं दूर, तो रोजाना सुबह उठते ही करें ये स्तुति

Shree Mahalaxmi Stotram चंद कमजोर लम्हें व्यक्ति की खूब परीक्षा लेते हैं। इन लम्हों से घबराना नहीं चाहिए। ईश्वर को स्मरण कर जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। अगर आप भी अपने जीवन में विषम परिस्थिति से गुजर रहे हैं तो रोजाना सुबह उठने के बाद ये स्तुति जरूर करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 11 May 2023 05:20 PM (IST)
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Shree Mahalaxmi Stotram: आर्थिक तंगी को करना चाहते हैं दूर, तो रोजाना सुबह उठते ही करें ये स्तुति

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shree Mahalaxmi Stotram: परिवर्तन ही संसार का नियम है। सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख का आगमन होता है। दुख के समय में व्यक्ति को विचलित नहीं होना चाहिए। चंद कमजोर लम्हें व्यक्ति की खूब परीक्षा लेते हैं। इन लम्हों से घबराना नहीं चाहिए। परम पिता परमेश्वर को स्मरण कर जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। अगर आप भी अपने जीवन में विषम परिस्थिति से गुजर रहे हैं, तो सभी संकटों को दूर करने के लिए रोजाना सुबह उठने के बाद ये स्तुति जरूर करें। कहते हैं कि श्री महालक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में नया सवेरा होता है। व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दुखों का नाश होता है। आइए, महालक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें-

लक्ष्मी स्तोत्र

सिंहासनगतः शक्रस्सम्प्राप्य त्रिदिवं पुनः ।

देवराज्ये स्थितो देवीं तुष्टावाब्जकरां ततः ॥

नमस्ये सर्वलोकानां जननीमब्जसम्भवाम् ।

श्रियमुन्निद्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम् ॥

पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम् ।

वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियामहम् ॥

त्वं सिद्धिस्त्वं स्वधा स्वाहा सुधा त्वं लोकपावनी ।

सन्ध्या रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती ॥

यज्ञविद्या महाविद्या गुह्यविद्या च शोभने ।

आत्मविद्या च देवि त्वं विमुक्तिफलदायिनी ॥

आन्वीक्षिकी त्रयी वार्ता दण्डनीतिस्त्वमेव च ।

सौम्यासौम्यैर्जगद्रूपैस्त्वयैत्तद्देवि पूरितम् ॥

का त्वन्या त्वामृते देवि सर्वयज्ञमयं वपुः ।

अध्यास्ते देवदेवस्य योगिचिन्त्यं गदाभृतः ॥

त्वया देवि परित्यक्तं सकलं भुवनत्रयम् ।

विनष्टप्रायमभवत्त्वयेदानीं समेधितम् ॥

दाराः पुत्रास्तथागारसुहृद्धान्यधनादिकम् ।

भवत्येतन्महाभागे नित्यं त्वद्वीक्षणान्नृणाम् ॥

शरीरारोग्यमैश्वर्यमरिपक्षक्षयः सुखम् ।

देवि त्वद् दृष्टिदृष्टानां पुरुषाणां न दुर्लभम् ॥

त्वं माता सर्वलोकानां देवदेवो हरिः पिता ।

त्वयैतद्विष्णुना चाम्ब जगद्व्याप्तं चराचरम् ॥

मा नः कोशं तथा गोष्ठं मा गृहं मा परिच्छदम् ।

मा शरीरं कलत्रं च त्यजेथाः सर्वपावनि ॥

मा पुत्रान्मा सुहृद्वर्गं मा पशून्मा विभूषणम् ।

त्यजेथा मम देवस्य विष्णोर्वक्षः स्थलालये ॥

सत्त्वेन सत्यशौचाभ्यां तथा शीलादिभिर्गुणैः ।

त्यज्यन्ते ते नराः सद्यः सन्त्यक्ता ये त्वयामले ॥

त्वया विलोकिताः सद्यः शीलाद्यैरखिलैर्गुणैः ।

कुलैश्वर्यैश्च युज्यन्ते पुरुषा निर्गुणा अपि ॥

स श्लाघ्यः स गुणी धन्यः स कुलीनः स बुद्धिमान् ।

स शूरः स च विक्रान्तो यस्त्वया देवि वीक्षितः ॥

सद्यो वैगुण्यमायान्ति शीलाद्याः सकला गुणाः ।

पराङ्मुखी जगद्धात्री यस्य त्वं विष्णुवल्लभे ॥

न ते वर्णयितुं शक्ता गुणाञ्जिह्वापि वेधसः ।

प्रसीद देवि पद्माक्षि मास्मांस्त्याक्षीः कदाचन ॥

एवं श्रीः संस्तुता सम्यक् प्राह देवी शतक्रतुम् ।

शृण्वतां सर्वदेवानां सर्वभूतस्थिता द्विज ॥

परितुष्टास्मि देवेश स्तोत्रेणानेन ते हरे ।

वरं वृणीष्व यस्त्विष्टो वरदाहं तवागता ॥

वरदा यदि मे देवि वरार्हो यदि वाप्यहम् ।

त्रैलोक्यं न त्वया त्याज्यमेष मेऽस्तु वरः परः ॥

स्तोत्रेण यस्तथैतेन त्वां स्तोष्यत्यब्धिसम्भवे ।

स त्वया न परित्याज्यो द्वितीयोऽस्तु वरो मम ॥

त्रैलोक्यं त्रिदशश्रेष्ठ न सन्त्यक्ष्यामि वासव ।

दत्तो वरो मया यस्ते स्तोत्राराधनतुष्टया ॥

यश्च सायं तथा प्रातः स्तोत्रेणानेन मानवः ।

मां स्तोष्यति न तस्याहं भविष्यामि पराङ्मुखी ॥

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।