Shukra Stotra: शुक्रवार को पूजा करते समय करें इस स्त्रोत का पाठ, जीवन में प्राप्त होंगे सारे सुख
Shukra Stotra शुक्र ग्रह सुख शोहरत ऐश्वर्य प्रेम धन और विवाह के कारक हैं। अत शुक्रवार के दिन विधि पूर्वक शुक्र ग्रह की पूजा करनी चाहिए। अगर आप भी कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करना चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन पूजा करते समय शुक्र स्त्रोत का पाठ करें।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 01 Jun 2023 05:25 PM (IST)
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Shukra Mantra: सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन धन, सुख और वैभव की अधिष्ठात्री मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन शुक्र ग्रह की भी पूजा करने का विधान है। ज्योतिषियों की मानें तो जिन लड़कों की कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। उनकी शादी शीघ्र हो जाती है। वहीं, विवाह उपरांत उनका वैवाहिक जीवन भी सुखमय रहता है। शुक्र ग्रह सुख, शोहरत, ऐश्वर्य, प्रेम, धन, आकर्षण और विवाह के कारक हैं। अत: शुक्रवार के दिन विधि पूर्वक शुक्र ग्रह की पूजा करनी चाहिए। अगर आप भी कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन पूजा करते समय शुक्र स्त्रोत का पाठ करें। आइए, शुक्र स्त्रोत का पाठ करें-
शुक्र स्त्रोत
नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित ।वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम: ।।1।।
देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग: ।परेण तपसा शुद्ध शंकरो लोकशंकर: ।।2।।
प्राप्तो विद्यां जीवनाख्यां तस्मै शुक्रात्मने नम: ।नमस्तस्मै भगवते भृगुपुत्राय वेधसे ।।3।।तारामण्डलमध्यस्थ स्वभासा भसिताम्बर: ।यस्योदये जगत्सर्वं मंगलार्हं भवेदिह ।।4।।
अस्तं याते ह्यरिष्टं स्यात्तस्मै मंगलरूपिणे ।त्रिपुरावासिनो दैत्यान शिवबाणप्रपीडितान ।।5।।विद्यया जीवयच्छुक्रो नमस्ते भृगुनन्दन ।ययातिगुरवे तुभ्यं नमस्ते कविनन्दन ।6।।बलिराज्यप्रदो जीवस्तस्मै जीवात्मने नम: ।भार्गवाय नमस्तुभ्यं पूर्वं गीर्वाणवन्दितम ।।7।।जीवपुत्राय यो विद्यां प्रादात्तस्मै नमोनम: ।नम: शुक्राय काव्याय भृगुपुत्राय धीमहि ।।8।।
नम: कारणरूपाय नमस्ते कारणात्मने ।स्तवराजमिदं पुण्य़ं भार्गवस्य महात्मन: ।।9।।य: पठेच्छुणुयाद वापि लभते वांछित फलम ।पुत्रकामो लभेत्पुत्रान श्रीकामो लभते श्रियम ।।10।।राज्यकामो लभेद्राज्यं स्त्रीकाम: स्त्रियमुत्तमाम ।भृगुवारे प्रयत्नेन पठितव्यं सामहितै: ।।11।।अन्यवारे तु होरायां पूजयेद भृगुनन्दनम ।रोगार्तो मुच्यते रोगाद भयार्तो मुच्यते भयात ।।12।।
यद्यत्प्रार्थयते वस्तु तत्तत्प्राप्नोति सर्वदा ।प्रात: काले प्रकर्तव्या भृगुपूजा प्रयत्नत: ।।13।।सर्वपापविनिर्मुक्त: प्राप्नुयाच्छिवसन्निधि: ।।14।।