Surya Stotra: रविवार को पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, करियर को मिलेगा नया आयाम
धार्मिक मत है कि सूर्य देव की उपासना करने से त्वचा संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होता है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होने से सरकारी नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप भी अपने करियर और कारोबार में ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहते हैं तो रविवार के दिन विधि पूर्वक सूर्य देव की पूजा करें।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 30 Mar 2024 05:57 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Surya Stotra: सनातन धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान भास्कर की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मत है कि सूर्य देव की उपासना करने से त्वचा संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होता है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होने से सरकारी नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, कारोबार को भी नया आयाम मिलता है। अगर आप भी अपने करियर और कारोबार में ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहते हैं, तो रविवार के दिन विधिपूर्वक सूर्य देव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ करें।
यह भी पढ़ें: अगले 10 साल तक ये 7 राशियां साढ़े साती से रहेंगी पीड़ित, हो जाएं अभी से सावधान
सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्रम्
सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि: ।गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर: ।।पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।
सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर: ।ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम: ।।वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति: ।
धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन: ।।कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय: ।कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण: ।।संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु: ।पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन: ।।कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद: ।वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत: ।स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत: ।।
अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख: ।जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक: ।धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत: ।।द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह: ।स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख: ।चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित: ।।
एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस: ।नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।।