Move to Jagran APP

Tulsi Stotra: गुरुवार को पूजा के समय करें इस प्रभावशाली स्तोत्र का पाठ, पूरी होगी मनचाही मुराद

शास्त्रों में निहित है कि तुलसी माता की पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। इससे साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही बिगड़े काम बनने लगते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो गुरुवार को पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Thu, 28 Dec 2023 07:00 AM (IST)Updated: Thu, 28 Dec 2023 07:00 AM (IST)
Tulsi Stotra: गुरुवार को पूजा के समय करें इस प्रभावशाली स्तोत्र का पाठ, पूरी होगी मनचाही मुराद

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Tulsi Stotra: जगत के पालनहार भगवान नारायण को तुलसी अति प्रिय है। तुलसी माता की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अतः हर घर में रोजाना तुलसी माता की पूजा एवं आरती की जाती है। पूजा के समय तुलसी माता को जल का अर्घ्य दिया जाता है। इस समय तुलसी मंत्र का जाप किया जाता है। इसके पश्चात पुष्प अर्पित कर परिक्रमा की जाती है। संध्याकाल में आरती-अर्चना की जाती है। शास्त्रों में निहित है कि तुलसी माता की पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। इससे साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। साथ ही बिगड़े काम बनने लगते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो गुरुवार को पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

यह भी पढ़ें: नव वर्ष के पहले दिन राशि अनुसार करें इन मंत्रों का जाप, सभी संकटों से मिलेगी निजात

तुलसी स्तोत्र

जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे ।

यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥

नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे ।

नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।

कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥

नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् ।

यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥

तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ।

या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥

नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ ।

कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥

तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले ।

यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥

तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।

आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।

अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥

नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।

पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥

इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।

विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥

लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।

षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।

तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।

नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥

यह भी पढ़ें: Paush Amavasya 2024: कब है पौष अमावस्या? नोट करें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.