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सार्वजनिक स्थलों पर न हो धार्मिक निर्माण

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सड़क, गली, फुटपाथ, सार्वजनिक पार्को व सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक स्थलों [मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा] का निर्माण न होने दे। कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अपनाई गई सरकारी नीति का कड़ाई से पालन किया जाय। कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण ल

By Edited By: Updated: Wed, 05 Jun 2013 11:41 AM (IST)
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इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सड़क, गली, फुटपाथ, सार्वजनिक पार्को व सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक स्थलों [मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा] का निर्माण न होने दे। कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अपनाई गई सरकारी नीति का कड़ाई से पालन किया जाय।

कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण लाने के लिए भी नीति बनाने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि लाउडस्पीकर बजाने की नीति बनाते समय सरकार सार्वजनिक सभाओं, शादियों, धार्मिक त्योहारों चुनाव आदि को भी ध्यान में रखे। साथ ही परीक्षा के दौरान मार्च से मई तक स्पीकर बजाने पर प्रतिबंध लगाने पर भी विचार किया जाए। कोर्ट ने प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई की तिथि 19 जुलाई नियत करते हुए निर्देशों का कड़ाई से पालन करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी तथा न्यायमूर्ति भारत भूषण की खण्डपीठ ने अब्दुल कयूम की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने को प्रतिबंधित किया जाय किंतु यह रोक प्रार्थना व नमाज पर सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक लागू नहीं होगी।

कोर्ट ने बदायूं के ककोड़ा गांव के मंदिरों व मस्जिदों पर लगे स्पीकरों की आवाज इतनी रखने का निर्देश दिया है कि वह 50 मीटर बाद सुनाई न दे। कोर्ट ने यह आदेश गांव के मंदिर में लाउडस्पीकर लगाने के समझौते का उल्लंघन करने को लेकर दाखिल याचिका पर दिया है। गांव में तीन मंदिर व एक मस्जिद है। मंदिर-मस्जिद में वर्षो से पूजा व नमाज हो रही थी। विवाद लाउडस्पीकर लगाने पर उठा। लाउडस्पीकरों के प्रयोग से उपजे तनाव को देखते हुए जिला प्रशासन ने दोनों समुदायों की बैठक बुलाई। जिसमें तय हुआ कि रमजान में रोजा अफ्तार व सहरी की घोषणा के लिए ही स्पीकर का प्रयोग होगा, अन्यथा नहीं। याची का कहना था कि यह समझौता उसके अधिकारों का हनन है जबकि दूसरे समुदाय के लोग लाउडस्पीकर का प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। इसलिए याची के मूल अधिकारों की कोर्ट रक्षा करे। कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण (नियमन एवं नियंत्रण) नियमावली 2000 के तहत राज्य सरकार को नीति बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया है। जिसमें कहा गया है कि अस्पताल, स्कूल/कॉलेज, कोर्ट व अन्य ऐसे स्थलों से 100मीटर को प्रतिबंधित जोन घोषित किया जाय।

चर्च ऑफ गॉड केस में सुप्रीम कोर्ट ने भी कई निर्देश जारी किए हैं। सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नीतिगत निर्णय लेने का आदेश दिया है। सार्वजनिक स्थल पर धार्मिक स्थल निर्माण पर रोक को सरकार ने स्वीकार भी कर लिया है। अब ध्वनि प्रदूषण पर नीति बनाया जाना जरूरी है।

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