Revati Nakshatra: कुशाग्र बुद्धि और निश्चल प्रकृति के होते हैं ये जातक, जानें किन क्षेत्रों में होते हैं सफल
Revati Nakshatra रेवती नक्षत्र आकाश मंडल का अंतिम नक्षत्र है। यह नक्षत्र मीन राशि में आता है। इसे दे दो चा ची के नाम से जाना जाता है। इसका स्वामी बुध है।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Wed, 02 Sep 2020 10:00 AM (IST)
Revati Nakshatra: रेवती नक्षत्र आकाश मंडल का अंतिम नक्षत्र है। यह नक्षत्र मीन राशि में आता है। इसे दे, दो, चा, ची के नाम से जाना जाता है। इसका स्वामी बुध है। बुध बुद्धि का कारक है। इसे वणिक ग्रह भी माना गया है। इसका राशि स्वामी गुरु है। गुरु बुध की युति जिस भाव में होगी वैसा फल देगा। बुध-गुरु की युति वाला जातक विवेकवान, वणिक, सफल अधिवक्ता, व्यापारी भी होता है। आइए ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री से जानते हैं इस नक्षत्र में पैदा होने वाले जातकों का स्वभाव कैसा होता है।
रेवती नक्षत्र के देवता पूषा हैं। इस नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी गुरु हैं। जो जातक रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण में पैदा हुआ होता है वो ज्ञानी होता है। साथ ही इसका लग्न नक्षत्र स्वामी बुध नक्षत्र चरण स्वामी से शत्रुता रखता है। अत: गुरु की दशा अत्यंत शुभ फल देगी। गुरु की दशा में जातक को पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी। वहीं, यह दशा जातक के लिए स्वास्थ्य वर्धक रहेगी। बुध की दशा मध्यम फल देगी। जो लोग इस नक्षत्र में जन्में होते हैं वो बाहरी दुनिया के लिए जिद्दी और कठोर होते हैं। इनकी ईश्वर में पूर्ण आस्था होती है। इनके जीवन में कई अड़चनें आती हैं लेकिन ये जातक उनका सामना कर उन्हें पार कर लेते हैं।
ये जातक कुशाग्र बुद्धि के होते हैं जिसके चलते ये किसी भी प्रकार के कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सफल होते हैं। इन जातकों को सरकारी नौकरी, बैंक, शिक्षा, लेखन, व्यापार, ज्योतिष एवं कला के क्षेत्र में कार्य करते देखा गया है। इनके जीवन में 23वें वर्ष से 26वें वर्ष तक कई सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। लेकिन 26वें वर्ष के बाद का समय कुछ रुकावटों भरा रहता है। यह 42वें वर्ष तक रहता है। 50 वर्ष के उपरान्त जीवन में स्थिरता, संतुष्टि एवं शांति का अनुभव करते हैं। रेवती मीन राशि में 16 अंश 40 कला से 30 अंश तक के विस्तार क्षेत्र में आता है। रेवती 42वें वर्ष तक रहता है।
इस नक्षत्र के जातक पर गुरु और बुध दोनों का प्रभाव आता है। गुरु और बुध दोनों मित्र संबंध नहीं रखते हैं। इसलिए बुध महादशा के फल देखने के लिए इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति की कुंडली में गुरु और बुध की तात्कालिक स्थिति देखी जाती है। रेवती नक्षत्र में जन्मे जातक स्त्री और पुरुष दोनों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों के प्रति अधिक आकर्षण होता है। इनके दोस्त भी विपरित लिंग के लोग ही ज्यादा होते हैं। इन्हें खान-पान पर भी ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। ये निश्चल प्रकृति के होते हैं। ये किसी भी तरह के छल कपट करने से डरते हैं। हालांकि, ये क्रोध में आत्म नियंत्रण भी खो सकते हैं। लेकिन इन्हें क्रोध जितना जल्दी आता है उतनी जल्दी ही शांत भी हो जाता है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक दूसरों पर बहुत जल्दी विश्वास नहीं कर पाते हैं। लेकिन अगर किसी पर विश्वास करते हैं पूरी तरह से करते हैं। इन जातकों का संतुलन प्रिय नक्षत्र है। इस कारण जातक समाज और समाज की परंपराओं के प्रति स्नेह और आदर रखता है। जातक सुरुचिपूर्ण कार्य करने वाला होता है। समझदारी से और परिस्थिति के अनुकूल काम करने वाला होता है। ये जातक सभी को स्नेह और सम्मान के साथ देखते हैं। इनका सभ्य व्यवहार सभी को आकर्षित करने वाला होता है। वे बुद्धिमान होते हैं। साथ ही मनमौजी एवं स्वतंत्र विचारधारा के भी होते हैं।