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RinMochan Mangal Stotra: मंगलवार के दिन करें भगवान हनुमान के इस स्तोत्र का पाठ, कर्ज से मिलेगी मुक्ति

RinMochan Mangal Stotra Ka Path ज्योतिष शास्त्र में हनुमान जी की पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग भगवान हनुमान की पूजा सच्ची भक्ति के साथ करते हैं उन्हें जीवन में कभी परेशान नहीं होना पड़ता है। साथ ही उनके कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है जो इस प्रकार है -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Tue, 23 Jan 2024 02:00 PM (IST)
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RinMochan Mangal Stotra Ka Path: हनुमान पूजा विधि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली।RinMochan Mangal Stotra Ka Path: मंगलवार के दिन रामभक्त हनुमान की पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में संकटमोचन की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस विशेष दिन पर बजरंबली के मंदिर जाते हैं और उन्हें लाल चोला, लड्डू चढ़ाते हैं।

साथ ही वहां 'ऋण मोचन मंगल स्तोत्र' का पाठ करते हैं, उन्हें कर्ज की समस्या से कभी भी परेशान नहीं होना पड़ता है। तो आइए यहां पढ़ते हैं -

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।।श्री हनुमान स्तोत्र।।

''वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम्।रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥

सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं। वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न॥

भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम्।

सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम्॥१॥

सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो हितं वचस्त्वमाशु धैर्य्यमाश्रयात्र वो भयं कदापि न।

इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥ २॥

सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ।

कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपीशराजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम्॥३॥

सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम्।

प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः॥४॥

प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत्।

विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम्॥५॥

नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम्।

सुपुच्छगुच्छतुच्छलंकदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम्॥६॥

रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम्।

विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम्॥७॥

नभस्वदात्मजेन भास्वता त्वया कृता महासहा यता यया द्वयोर्हितं ह्यभूत्स्वकृत्यतः।

सुकण्ठ आप तारकां रघूत्तमो विदेहजां निपात्य वालिनं प्रभुस्ततो दशाननं खलम्॥८॥

इमं स्तवं कुजेऽह्नि यः पठेत्सुचेतसा नरः कपीशनाथसेवको भुनक्तिसर्वसम्पदः।

प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह॥९॥

नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे। लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥ १०॥

ॐ इति श्री हनुमत्ताण्डव स्तोत्रम्''॥

हनुमान पूजा विधि

  • सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
  • भगवान हनुमान के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
  • लड्डू का भोग लगाएं।
  • लाला चोला अर्पित करें।
  • हनुमान जी के मंत्रों का जाप करें।
  • हनुमान जी की आरती से पूजा पूर्ण करें।
  • भगवान के सामने शंखनाद करें। 
  • पूजा में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे। 
  • परिवार में और गरीबों में प्रसाद बांटे।

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