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Rishi Panchami 2024: जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति दिलाता है ये व्रत, महिलाओं के लिए माना गया है खास

जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है ऋषि पंचमी मुख्यतः सप्तऋषियों को समर्पित मानी जाती है। इस दिन को मुख्य रूप से महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से साधक को जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल सकती है। तो चलिए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा विधि।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 04 Sep 2024 06:06 PM (IST)
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Rishi Panchami 2024: जानिए कब रखा जाएगा ऋषि पंचमी का व्रत।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी मनाई जाती है। तिथि के अनुसार, ऋषि पंचमी गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद आती है। तो चलिए जानते हैं कि इस साल ऋषि पंचमी (Rishi Panchami 2024 Date) कब मनाई जाएगी और आप किस तरह इस दिन व्रत कर सकते हैं।

ऋषि पंचमी शुभ मुहूर्त (Rishi Panchami Muhurat)

भाद्रपद माह की पंचमी तिथि का प्रारम्भ 07 सितंबर 2024 को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर होगा। वहीं इस तिथि का समापन 08 सितंबर को शाम 07 बजकर 58 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत 08 सितंबर को किया जाएगा। इस दौरान पूजा का शुभ कुछ इस प्रकार रहेगा -

ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक।

ऋषि पंचमी का महत्व (Rishi Panchami significance)

इस व्रत को मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है। मुख्य रूप से यह व्रत महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान लगने वाले रजस्वला दोष से बचाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप तो नष्ट होते ही हैं, सप्तऋषियों का आशीर्वाद भी मिलता है। यदि किसी व्यक्ति के लिए गंगा में स्नान करना संभव नहीं है, तो आप इस दिन घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।

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व्रत की पूजा विधि (Rishi Panchami puja vidhi)

ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद घर व मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई कर लें। इसके बाद पूजा स्थान पर आसन बिछाकर उस पर एक चौकी रखें। साथ ही सभी पूजा सामग्री जैसे धूप, दीप, फल, फूल, घी, पंचामृत आदि एकत्रित कर लें। चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाने के बाद सप्तऋषि की तस्वीर स्थापित करें और कलश में गंगाजल भरकर रख लें।

आप चाहें तो अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद कलश से जल लेकर सप्तऋषियों को अर्ध्य दें और धूप-दीप दिखाएं। अब उन्हें फल-फूल और नैवेद्य आदि अर्पित करें। पूजा के दौरान सप्तऋषियों को फल और मिठाई अर्पित करें। सप्तऋषियों के मंत्रों का जाप करें और अंत में अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद वितरित कर बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।