Rudraksha Katha: भगवान शिव से कैसे जुड़ा है रुद्राक्ष का इतिहास, जानिए इसकी उत्पत्ति की कथा
आपने कई लोगों को रुद्राक्ष पहनते हुए देखा होगा। इसे धारण करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। रुद्राक्ष एक प्रकार का बीज होता है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का वरदान माना गया है जो संसार के भौतिक दुखों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है। आइए जानते हैं क्या है इसकी उत्पत्ति की रोचक कथा।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 23 Jun 2023 01:14 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Rudraksha Katha: रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से माना गया है। आपने शिव भक्तों को रुद्राक्ष की माला धारण करते भी देखा होगा। यह विशेष रूप से शैववाद अर्थात भगवान शिव की पूजा में माला के रूप में प्रयोग किया जाता है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाएं मौजूद हैं। आज हम जानेंगे की रुद्राक्ष की उत्पत्ति आखिर कैसे हुई।
कैसे पड़ा रुद्राक्ष नाम
रुद्राक्ष का अर्थ है - रूद्र का अक्ष। रुद्राक्ष दो शब्दों “रुद्र” और “अक्ष” से मिलकर बना है। जिसमें रुद्र का अर्थ है- ''शिव'' और अक्ष का अर्थ “भगवान शिव के नेत्र”। रुद्राक्ष की उत्पत्ति कथा भगवान शिव से जुड़ी है। माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आसुओं से हुई है। इसलिए इसका नाम रुद्राक्ष पड़ा।
जानिए रुद्राक्ष की पौराणिक कथा
त्रिपुरासुर नामक असुर को अपनी शक्ति का बहुत ही घमंड था। जिस वजह से उसने देवताओं को तंग करना शुरू कर दिया। त्रिपुरासुर की अपार शक्ति के कारण उसके सामने कोई भी देव या ऋषि-मुनि भी नहीं पाते थे। परेशान होकर ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवता भगवान शिव के पास पहुंचे, और उनसे प्रार्थना करने लगा कि त्रिपुरासुर के आतंक को समाप्त किया जाए। महादेव ने जब देवताओं का यह आग्रह सुना तो उन्होंने अपने नेत्र योग मुद्रा में बंद कर लिए। जिसके थोड़ी देर बाद भगवान शिव ने अपनी आंखें खोली तो उनकी आंखों से आंसू धरती पर जा गिरे। जहां-जहां भगवान शिव के आंसू गिरे वहां-वहां रुद्राक्ष के पेड़ उग गए। रुद्राक्ष का अर्थ है शिव का प्रलयंकारी तीसरा नेत्र। यहीं कारण है कि इस वृक्ष के फलों को रुद्राक्ष नाम दिया गया। इसके बाद भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से राक्षस त्रिपुरासुर का वध कर दिया, जिस कारण देवताओं और ऋषि मुनियों को उसके अत्याचारों से मुक्ति मिल गई।क्या है अन्य कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती ने जब अपने पिता दक्ष प्रजापति के हवन कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया था। तब महादेव विचलित होकर उनके जले हुए शरीर को लेकर तीनों लोकों में विलाप करते हुए विचरण कर रहे थे। कहा जाता है शिव के विलाप के कारण जहां-जहां भगवान शिव के आंसू टपके वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हो गए।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'