Rudraksha Niyam: धारण करना चाहते हैं रुद्राक्ष, तो पहले जान लें ये जरूरी नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव और अक्ष यानी आंसुओं से हुई है। इसलिए इसे बहुत ही खास माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति को भगवान शिव की असीम कृपा की प्राप्ति होती है जिससे जीवन में कई लाभ मिलते हैं। लेकिन ये लाभ तभी मिल सकते हैं जब रुद्राक्ष के जुड़े सभी नियमों का ध्यान रखा जाए।न
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Benefits of Rudraksha: सनातन धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव से जोड़कर देखा जाता है। इसे बहुत ही पवित्र माना गया है और कई लोग इसे धारण भी करते हैं। ऐसे में रुद्राक्ष की पवित्रता को बनाए रखने के लिए रुद्राक्ष से जुड़े कई नियमों का ध्यान रखना चाहिए। चलिए जानते हैं वह नियम।
कौन-सा दिन है बेहतर
रुद्राक्ष एक सूखा फल होता है, जो पेड़ पर उगता है। 01 से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष तक पाए जाते हैं, जिसका अपना अपना महत्व माना गया है। रुद्राक्ष धारण करने के लिए अमावस्या, पूर्णिमा, सावन महीने का सोमवार या फिर शिवरात्रि का दिन बेहतर माना जाता है। इस तिथियों में रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को इसका लाभ देखने को मिलता है।
धारण करने की विधि
रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसे पंचामृत से और फिर गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद किसी स्वच्छ व सूखे कपड़े से पोंछ लें। इसके बाद रुद्राक्ष पर तिलक लगाएं और धूप दिखाएं। इसके बाद नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। आप रुद्राक्ष को किसी धागे में या फिर सोने या चांदी की चैन में भी डाल सकते हैं। इसे गले में ही धारण करना सबसे बेहतर माना जाता है।
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इन बातों का रखें ध्यान
रुद्राक्ष का पूर्ण लाभ तभी मिल सकता है, जब इसके नियमों का ध्यान रखा जाए। ऐसे में रात को सोने से पहले रुद्राक्ष निकाल देना चाहिए। इसके साथ ही कभी भी शमशान घाट या किसी मृत्यु वाली जगह पर रुद्राक्ष धारण करते हुए नहीं जाना चाहिए। ऐसे किसी स्थान पर जाने से पहले रुद्राक्ष को निकाल दें। रुद्राक्ष धारण करके कभी मांस-मदिरा का सेवन न करें, वरना इसके उल्टे परिणाम भी मिल सकते हैं।
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