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Sai Baba Quotes: साईं बाबा के इन वचनों में छिपा है आपकी हर समस्या का समाधान

Sai Baba Quotes संतों की दिव्य वाणी से जीवन में काफी ज्यादा सुधार आता है। साथ ही जिन समस्याओं से हम लगातार परेशान हैं उनके लिए कुछ न कुछ उपाय भी मिल जाता है। ऐसे में आज हम जीवन की मुश्किलों से छुटकारा पाने के लिए साईं बाबा के कुछ उपदेश को आपके साथ साझा करेंगे जो इस प्रकार है -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 21 Jan 2024 02:57 PM (IST)
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Sai Baba Quotes: सत्य साईं बाबा के अनमोल वचन
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sai Baba Quotes: साईं बाबा की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है। उन्होंने समाज को सुधारने के लिए कई सारे कार्य किए। उनकी शिक्षाओं में हमेशा प्रेम, सत्य और दूसरों की सेवा पर जोर दिया गया है। इसके अलावा उन्होंने सभी धर्मों के लोगों के बीच दया और एकता को प्रोत्साहित किया।आज हम सत्य साईं बाबा के कुछ अनमोल वचन को आपके साथ साझा करेंगे, जिससे आपको जीवन जीने में मदद मिलेगी।

सत्य साईं बाबा के अनमोल वचन

  • साईं बाबा के अनुसार, 'बोलने से पहले, अपने आप से पूछें क्या यह आवश्यक है, क्या यह सच है, क्या यह मौन में सुधार करता है?'
  • साईं बाबा के अनुसार, 'आपको एक कमल की तरह बनना चाहिए, जब सूर्य आकाश में उगता है, तो वह अपनी पंखुड़ियां फैलाता है, साथ ही वह उस कीचड़ से अप्रभावित रहता है, जहां वह पैदा हुआ है।'
  • 'केवल एक ही भाषा है, हृदय की भाषा। केवल एक ही धर्म है, प्रेम का धर्म।'
  • 'यदि आप अपनी मां का सम्मान करते हैं, तो ब्रह्मांड की मां आपको नुकसान से बचांएगी।'
  • 'सांसारिक चीजों और कार्यों से मत जुड़ो। दुनिया में रहो, लेकिन दुनिया को अपने अंदर मत रहने दो।'
  • 'मनुष्य को पृथ्वी पर अपने लक्ष्य का एहसास तब होगा जब वह खुद को दिव्य के रूप में जानेगा और दूसरों को दिव्य के रूप में सम्मान देगा।'
  • 'यह भ्रम त्याग दो कि तुम बूढ़े हो गये हो, रोगी हो गये हो, अथवा निर्बल और दुर्बल हो गये हो। कुछ लोग सालों की गिनती करने लगते हैं और बढ़ती उम्र पर शोक मनाते हैं और मृत्यु से डरने वाले कायरों की तरह कांपने लगते हैं। याद रखें, प्रसन्नता स्वर्ग है, निराशा नरक है। हमेशा कुछ न कुछ काम करते रहो और उसे अच्छे से करो जिससे तुम्हें खुशी मिलेगी।'
  • 'किसी के विरुद्ध जहरीले शब्दों का प्रयोग न करो, क्योंकि शब्द तीर से भी अधिक घातक होते हैं।'
  • 'जब भी और जहां भी आप स्वयं को ईश्वर के संपर्क में लाते हैं, वही ध्यान की स्थिति होती है।'
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