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Sakat Chauth 2023 Vrat Katha: सकट चौथ व्रत पारण से पहले जरूर करें इस पौराणिक कथा का पाठ

Sakat Chauth 2023 आज माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के सकट चौथ व्रत का पालन किया जा रहा है। इस विशेष दिन पर भगवान गणेश की विधिवत उपासना का विधान है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Tue, 10 Jan 2023 04:50 PM (IST)
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Sakat Chauth 2023 Vrat Katha: व्रत पारण से पहले जरूर करें सकट चौथ व्रत कथा का पाठ।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Sakat Chauth 2023 Vrat Katha: हिन्दू धर्म में सकट चौथ व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की विधिवत उपासना का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि आज के भगवान गणेश की उपासना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस विशेष दिन पर सकट चौथ व्रत कथा के पाठ का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि व्रत पारण से पहले सकट चौथ व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों को भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए पढ़ते हैं इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा।

सकट चौथ व्रत कथा

किवदंतियों में बताया गया है कि एक बार माता पार्वती स्नान के लिए जा थीं. कक्ष के भीतर कोई न आए इसके लिए उन्होंने गणेश जी को पहरा देने का आदेश दिया। माता का आदेश सुन गणेश जी तत्परता से जुट गए और कक्ष के बाहर पहरा देने लगे। कुछ ही समय बाद भोलेनाथ अपने कक्ष के भीतर जाने लगे। लेकिन मां के आदेश का पालन करते हुए गणेश जी ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। भगवान भोलेनाथ ने कई बार प्रयास कि वह अंदर जा पाएं, लेकिन मातृ आदेश और बालक गणेश की कर्मनिष्ठा के आगे उनकी एक न चली।

बालक गणेश के इस हठ को देखकर शिव जी इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने अपने अस्त्र, त्रिशूल से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। अपने पुत्र के कराहने की आवाज सुनते ही माता पार्वती दौड़ती हुई कक्ष से बाहर आई। जब उन्होंने अपने पुत्र का सिर धड़ से अलग देखा तो वह अत्यंत दुखी हो गईं और अपने पुत्र को जीवन दान देने का आदेश भगवान शिव को दिया। महादेव ने मां पार्वती का ऐसा रूप कभी नहीं देखा था, इसलिए उनकी आदेश का पालन करते हुए उन्होंने एक हाथी के बच्चे का सिर गणेश जी के धड़ से लगा दिया और जीवन दान दिया। इसके बाद सभी देवताओं ने भी भगवान गणेश को आशीर्वाद दिया।

अपने पुत्र को जीवित देख माता पार्वती ने कहा कि इस दिन जो माताएं अपनी संतान के लिए उपवास रखेंगी, उनके संतान को दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होगा। मान्यता है कि वह माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का दिन था। वर्तमान समय में इसलिए माताएं अपनी संतान के उज्जवल भविष्य के लिए सकत चौथ व्रत का पालन करती हैं।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।