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Sakat Chauth 2024: आज मनाया जाएगा सकट चौथ, यहां जानें पूजा विधि, तिथि और शुभ मुहूर्त

Sakat Chauth 2024 आज सकट चौथ का पर्व मनाया जा रहा है। यह भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है जो भक्त इस दिन गणेश जी की पूजा विधिपूर्वक करते हैं उन्हें समृद्धि धन स्वास्थ्य और खुशी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आमतौर पर महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सफलता की कामना के लिए इस दिन का उपवास रखती हैं।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Mon, 29 Jan 2024 09:00 AM (IST)
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Sakat Chauth 2024: सकट चौथ का महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sakat Chauth 2024: सकट चौथ के त्योहार का विशेष महत्व है। यह हर साल पूरे देश में भव्यता के साथ मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान गणेश के लिए व्रत रखती हैं। इसे लोग संकष्टी चतुर्थी या संकटहारा चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। यह पर्व माघ माह के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन पड़ता है। तो आइए इसकी तिथि और पूजा विधि के बारे में जानते हैं, जो यहां दिया गया है -

सकट चौथ 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

हर साल सकट चौथ का व्रत भारत में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सकट चौथ 29 जनवरी दिन सोमवार यानी आज मनाया जा रहा है। चतुर्थी तिथि की शुरुआत सुबह 6:10 से होगी। साथ ही इसका समापन 30 जनवरी को सुबह 8:54 पर होगा।

सकट चौथ 2024 की पूजा विधि

  • भक्त सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
  • सकट चौथ व्रत रखने का संकल्प करें।
  • एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर प्रतिमा की स्थापना करें।
  • सिंदूर का तिलक लगाएं।
  • घी का दीपक जलाएं।
  • भगवान गणेश की प्रतिमा पर फूल, फल और मिठाइयां चढ़ाएं।
  • पूजा में तिलकुट का भोग जरूर शामिल करें।
  • गणेश चालीसा का पाठ करें।
  • अंत में बप्पा की आरती करें।
  • शंखनाद से पूजा पूर्ण करें।
  • प्रसाद खाकर अपने व्रत का पारण करें।

सकट चौथ 2024 का धार्मिक महत्व

भगवान गणेश की पूजा के लिए सकट चौथ का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, जो साधक बप्पा की पूजा इस दिन विधिपूर्वक करते हैं उन्हें समृद्धि, धन, स्वास्थ्य और खुशी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आमतौर पर महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सफलता की कामना के लिए इस दिन का उपवास रखती हैं।

भगवान गणेश मंत्र

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

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