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Sandhi Puja 2023 : नवरात्र पर क्यों की जाती है संधि पूजा ? जानें महत्व और पूजा विधि

Sandhi Puja 2023 संधि पूजा अष्टमी के खत्म होने और नवमी के शुरू होने पर की जाती है। भक्त इस दिन देवी चामुंडा के स्वरूप की पूजा करते हैं। पौराणिक कथाओं और मान्यताओं अनुसार देवी ने संधि काल में राक्षस चंड और मुंड का वध किया था।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 22 Oct 2023 09:03 AM (IST)
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Sandhi Puja 2023

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Sandhi Puja 2023: संधि पूजा दुर्गा पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व आमतौर पर पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। संधि पूजा अष्टमी के खत्म होने और नवमी के शुरू होने पर की जाती है। भक्त इस दिन देवी चामुंडा के स्वरूप की पूजा करते हैं। पौराणिक कथाओं और मान्यताओं अनुसार, देवी ने संधि काल में राक्षस चंड और मुंड का वध किया था। तभी से देवी भक्तों ने इसे पर्व के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

संधि पूजा विधि

संधि पूजा के दौरान साधक मां दुर्गा की पूजा करें।

मां दुर्गा के समक्ष दीपक जलाएं।

फूल, फल और मिठाइयां चढ़ाएं।

देवी के मंत्रों का जाप करें।

पूजा के बाद देवी के आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में प्रसाद को दूसरों के साथ साझा करें।

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संधि पूजा के दौरान इन मंत्रों से करें मां की पूजा

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। सवर्स्धः स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।

दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।

संधि पूजा का महत्व

संधि पूजा उस समय को चिह्नित करती है, जब अष्टमी तिथि नवमी तिथि बन जाती है। यह नवरात्रि पूजा का एक अहम भाग है। साथ ही यह पूजा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लोगों का मानना ​​है कि इस दौरान देवी की शक्ति अपने चरम पर होती है। यह देवी चामुंडा द्वारा चंदा और मुंडा को पराजित करने की कहानी से भी जुड़ा हुआ है।

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