Move to Jagran APP

Sankashti Chaturthi 2024: 27 या 28 फरवरी, कब है संकष्टी चतुर्थी? जानिए इसका धार्मिक महत्व

संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2024) का दिन बप्पा के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और अत्यधिक भक्ति के साथ गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान गणपति जी (Vighnaharta Ganesh) का आशीर्वाद लेना अत्यधिक शुभ माना जाता है। महादेव और देवी पार्वती के पुत्र सभी देवताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Fri, 23 Feb 2024 01:43 PM (IST)
Hero Image
Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sankashti Chaturthi 2024: सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का बेहद महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विधान है। चतुर्थी तिथि प्रतिमाह दो बार मनाई जाती है। इस माह यह 28 फरवरी, 2024 दिन बुधवार को मनाई जाएगी। फाल्गुन माह में आने वाली चतुर्थी तिथि को लोग द्विजप्रिय संकष्टी के नाम से जानते हैं, जिसका शास्त्रों में बहुत ज्यादा महत्व है।

ऐसा कहा जाता है कि अगर इस विशेष दिन पर भाव के साथ पूजा अर्चना की जाए, तो भगवान गणेश सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी तिथि और शुभ मुहूर्त

फाल्गुन महीने में चतुर्थी तिथि 28 फरवरी, दिन बुधवार को रात्रि 01 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी। साथ ही इसका समापन 29 फरवरी, दिन गुरुवार सुबह 04 बजकर 18 मिनट पर होगा, जो लोग इस दिन का व्रत रखते हैं उन्हें 28 फरवरी के दिन ही व्रत रखना होगा।

संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व

संकष्टी चतुर्थी का दिन बप्पा के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और अत्यधिक भक्ति के साथ गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान गणपति जी का आशीर्वाद लेना अत्यधिक शुभ माना जाता है। महादेव और देवी पार्वती के पुत्र सभी देवताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। यही कारण है कि उन्हें प्रथम पूज्य माना गया है।

बता दें, किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले उनका आशीर्वाद लेने की प्रथा है, चाहे वह पूजा अनुष्ठान, विवाह, सगाई, मुंडन, या गृह प्रवेश हो।

संकष्टी चतुर्थी के दौरान करें इन मंत्रों का जाप

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।

ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।

यह भी पढ़ें: Dattatreya Temple: सेवादार करते हैं इस मंदिर में पूजा, मात्र एक बार दर्शन से पूरी होती है सभी मुराद

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।