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Sankashti Chaturthi 2024: साल 2024 में किस - किस दिन पड़ेगी संकष्टी चतुर्थी, नोट करें तिथि

Sankashti Chaturthi 2024 संकष्टी चतुर्थी का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। इस दिन जो साधक बप्पा की पूजा सच्ची भक्ति और भाव के साथ करते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं जब इस दिन का इतना ज्यादा महत्व है तो यह साल 2024 में किस - किस दिन पड़ेगा इसकी तिथि जान लेते हैं जो इस प्रकार है -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sat, 13 Jan 2024 04:43 PM (IST)
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Sankashti Chaturthi 2024 List: संकष्टी चतुर्थी 2024 लिस्ट
धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Sankashti Chaturthi 2024 List: ज्योतिष शास्त्र में चतुर्थी का दिन बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि यह भगवान गणेश को समर्पित है। चतुर्थी महीने में दो बार आती हैं। इस दिन जो भक्त गणपति जी की पूजा-अर्चना सच्ची श्रद्धा के साथ करते हैं उनका जीवन खुशियों से भरा रहता है, जब इस पर्व का इतना महत्व है, तो यह साल 2024 में किस - किस दिन पड़ेगा इसकी तिथि जान लेते हैं, जो इस प्रकार है -

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संकष्टी चतुर्थी 2024 लिस्ट

  • लंबोदर संकष्टी चतुर्थी-29 जनवरी, 2024।
  • द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी-28 फरवरी, 2024।
  • भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी-28 मार्च, 2024।
  • विकट संकष्टी चतुर्थी-27 अप्रैल, 2024।
  • एकदंत संकष्टी चतुर्थी-26 मई, 2024।
  • कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी-25 जून, 2024।
  • गजानन संकष्टी चतुर्थी-24 जुलाई, 2024।
  • हेरंब संकष्टी चतुर्थी-22 अगस्त, 2024।
  • विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी-21 सितंबर, 2024।
  • वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी-20 अक्टूबर, 2024।
  • गणाधिप संकष्टी चतुर्थी-18 नवंबर, 2024।
  • अखुरथ संकष्टी चतुर्थी-18 दिसंबर, 2024।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
  • पूजा घर को साफ करें।
  • भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें और देसी गाय के घी का दीया जलाएं।
  • सिंदूर का तिलक लगाएं।
  • पीले रंग के फूल, दूर्वा घास और बूंदी के लड्डू, मोदक का भोग लगाएं।
  • संकष्टी कथा का पाठ करें और आरती से पूजा का समापन करें।
  • शाम के समय भी भगवान गणेश की पूजा अवश्य करें।
  • व्रती शाम के समय पूजा अनुष्ठान को पूरा करने के बाद प्रसाद से अपना व्रत खोलें।
  • सात्विक भोजन करें और तामसिक चीजों से दूर रहें।

भगवान गणेश मंत्र

''ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा''।।

''गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा''॥

''महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्''।।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।