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Sankashti Chaturthi 2024: वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर करें इस स्तुति का पाठ, गणेश जी होंगे प्रसन्न

कार्तिक माह में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को व्रकतुंड संकष्टी चतुर्थी (Vakratunda Sankashti Chaturthi 2024) के नाम से जाना जाता है। इस दिन को गणेश जी की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत ही खास माना गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप इस दिन किस प्रकार गणेश जी को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 16 Oct 2024 06:42 PM (IST)
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Sankashti Chaturthi October 2024 वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर करें इस स्तुति का पाठ।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश के निमित्त संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। ऐसे में आप इस खास तिथि पर गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए इस स्तुति का पाठ कर सकते हैं। ऐसा करने से गणेश जी की असीम कृपा प्राप्त होती है और साधक के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर शुरू हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 21 अक्टूबर 2024 को प्रातः 04 बजकर 16 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत रविवार, 20 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है। ऐसे में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन चन्द्रोदय का समय इस प्रकार रहने वाला है -

संकष्टी के दिन चन्द्रोदय - शाम 07 बजकर 54 मिनट पर

गणेश स्तुति -

मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्।

अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ।। १।।

नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम् ।

सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ।। २।।

समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।

कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ।। ३।।

अकिंचनार्तिमार्जनं चिरंतनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।

प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणं कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ।।४।।

नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजमचिन्त्यरुपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्।

हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम् ।। ५।।

महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।

अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ।। ६।।

मंगलमुर्ती मोरया

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भगवान श्री गणेश स्तुति मंत्र -

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय!

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!

भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय, सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय!

विद्याधराय विकटाय च वामनाय , भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते!!

नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:!

नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:!!

विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे!

भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक!!

लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय!

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!

त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति ,

भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति!

विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,

तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव!!

गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम !

तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम !!

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।