Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha: संकष्टी गणेश चतुर्थी का पूजन करते समय पढ़ें यह व्रत कथा
Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha संकष्टी गणेश चतुर्थी 4 सितंबर को है। इस दिन गणेश जी का व्रत किया जाता है। इस व्रत को लेकर व्रत कथा भी प्रचलित है।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 05 Sep 2020 08:05 AM (IST)
Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha: संकष्टी गणेश चतुर्थी 5 सितंबर को है। इस दिन गणेश जी का व्रत किया जाता है। इस व्रत को लेकर व्रत कथा भी प्रचलित है। व्रत के दौरान इस कथा को जरूर पढ़ना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे हुए थे। परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए वो सभी देवों के देव महादेव के पास गए। उस समय शिवजी के साथ उनके बेटे कार्तिकेय तथा गणेशजी भी थे। देवताओं ने शिवजी को सभी बात कही। उनकी बात सुनकर शिवजी ने कार्तिकेय और गणेश जी से सलाह ली। उन्होंने पूछा, तुम में से कौन ऐसा है जो देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। इस पर कार्तिकेय व गणेश जी दोनों को ही वो सक्षम लगे। दोनों ने ही कहा की वो खुद ही इस काम को कर सकते हैं।
लेकिन भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेनी चाही। उन्होंने कहा कि जो भी इस धरती की सबसे पहले परिक्रमा पूरी करके आएगा वो ही देवताओं की मदद करेगा। जैसे ही कार्तिकेय जी ने यह सुना तो वो तुरंत ही अपने वाहन मोर पर बैठे और धरती की परिक्रमा करने निकल पड़े। लेकिन गणेश जी का वाहन तो चूहा था। उन्होंने सोचा कि अगर वो चूहे पर बैठकर धरती की परिक्रमा करेंगे तो बहुत समय लगेगा। ऐसे में उन्होंने एक उपाय सोचा। गणेश जी ने अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा कर ली।
लेकिन जब कार्तिकेय परिक्रमा कर वापस लौटे तो वो खुद को ही विजेता बताने लगे। यह देख श्री गणेश से शिवजी ने पृथ्वी की परिक्रमा न करने का कारण पूछा। तब गणेश जी ने कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक है। तब शिवजी ने देवताओं के संकटों के निवारण के लिए गणेश जी से कहा। साथ ही गणेश जी को आशीर्वाद भी दिया कि चतुर्थी के दिन जो भी गणेशजी का पूजन करेगा और चंद्रमा को अर्घ्य देगा तो व्यक्ति के दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर हो जाएंगे। साथ ही समस्य दुख भी दूर हो जाएंगे। चारों तरफ से मनुष्य की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी