Santoshi Maa Puja & Aarti: शुक्रवार है मां संतोषी का दिन, पूजा के साथ इस आरती से करें मां को प्रसन्न
Santoshi Maa Puja Aarti शुक्रवार के दिन मां संतोषी की पूजा- उपासना आरती और व्रत से कई बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं। घर से दरिद्रता दूर होती है सुख- संपत्ति बढ़ने लगती है और मनचाही इच्छा की भी पूर्ति होती है।
By Priyanka SinghEdited By: Updated: Fri, 04 Mar 2022 01:20 PM (IST)
नई दिल्ली, Santoshi Maa Puja & Aarti: हिंदू धर्म में शुक्रवार के दिन मां दुर्गा, लक्ष्मी और संतोषी तीनों ही देवियों की पूजा की जाती है लेकिन मां संतोषी की इस दिन खासतौर से पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि शुक्रवार के दिन सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ की गई मां संतोषी की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन अगर आप व्रत रखते हैं तो खट्टी चीज़ें भूलकर भी न खाएं, इससे माता नाराज हो जाती हैं। मां को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार को पूरे नियम के साथ व्रत करें, कथा पढ़ें और पूजन के साथ उनकी आरती जरूर करें। इससे दरिद्रता दूर होती है, घर में खुशहाली आती है और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
संतोषी मां की आरतीजय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता।अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥सुन्दर चीर सुनहरी,मां धारण कीन्हो।हीरा पन्ना दमके,तन श्रृंगार लीन्हो॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥गेरू लाल छटा छबि,बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी,त्रिभुवन जन मोहे॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥स्वर्ण सिंहासन बैठी,चंवर दुरे प्यारे।धूप, दीप, मधु, मेवा,भोज धरे न्यारे॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥गुड़ अरु चना परम प्रिय,तामें संतोष कियो।संतोषी कहलाई,भक्तन वैभव दियो॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥
शुक्रवार प्रिय मानत,आज दिवस सोही।भक्त मंडली छाई,कथा सुनत मोही॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥मंदिर जग मग ज्योति,मंगल ध्वनि छाई।विनय करें हम सेवक,चरनन सिर नाई॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥भक्ति भावमय पूजा,अंगीकृत कीजै।जो मन बसे हमारे,इच्छित फल दीजै॥जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता॥दुखी दारिद्री रोगी,संकट मुक्त किए।बहु धन धान्य भरे घर,सुख सौभाग्य दिए॥
जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥ध्यान धरे जो तेरा,वांछित फल पायो।पूजा कथा श्रवण कर,घर आनन्द आयो॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥चरण गहे की लज्जा,रखियो जगदम्बे।संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता॥सन्तोषी माता की आरती,जो कोई जन गावे।रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,जी भर के पावे॥जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता।अपने सेवक जन की,सुख सम्पति दाता॥