Saraswati Puja 2024: आज मनाया जा रहा है सरस्वती बलिदान, जानें विसर्जन का भी मुहूर्त
सनातन धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिए देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। शारदीय नवरात्र के दौरान भी सरस्वती पूजा का भी विधान है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप किस प्रकार इस अवधि में देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, नवरात्र में मूल नक्षत्र के दौरान सरस्वती पूजा आरंभ होती है। ऐसे में इस बार सरस्वती पूजा की शुरुआत बुधवार, 09 अक्टूबर से शुरू हुई थी, जिसका समापन 12 अक्टूबर को हो रहा है। सरस्वती पूजा का पहला दिन सरस्वती आवाहन के रूप में मनाया जाता है। वहीं दूसरे दिन सरस्वती बलिदान और तीसरे दिन सरस्वती विसर्जन किया जाता है। तो चलिए जानते हैं सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त।
सरस्वती बलिदान मुहूर्त (Saraswati Balidan Puja Muhurat)
सरस्वती बलिदान में मुख्य रूप में मां सरस्वती के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। इस दौरान ज्ञान की देवी को प्रिय भोग और शिक्षा संबंधी सामग्री अर्पित की जाती है। यह पर्व उत्तराषाढा नक्षत्र के प्रारंभ होने पर मनाया जाता है। ऐसे में उत्तराषाढा नक्षत्र का प्रारम्भ 11 अक्टूबर को प्रातः 05 बजकर 41 मिनट पर हुआ था। वहीं इसका समापन 12 अक्टूबर को प्रातः 05 बजकर 25 मिनट पर हुथा था। ऐसे में सरस्वती बलिदान मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -
सरस्वती बलिदान मुहूर्त - शुक्रवार, 11 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 37 मिनट से शाम 05 बजकर 33 मिनट तक
सरस्वती विसर्जन का समय (Saraswati Visarjan Puja Muhurat)
सरस्वती पूजा अंतिम दिन सरस्वती विसर्जन किया जाता है। इस दिन पर भक्त सरस्वती की मूर्ति या प्रतीकों का विसर्जन करते हैं। सरस्वती विसर्जन श्रवण नक्षत्र में किया जाता है। ऐसे में यह नक्षत्र 12 अक्टूबर को प्रातः 05 बजकर 25 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसका समापन 13 अक्टूबर को प्रातः 04 बजकर 27 मिनट पर होगा। ऐसे में सरस्वती विसर्जन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहने वाला है -सरस्वती विसर्जन मुहूर्त - शनिवार, 12 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से सुबह 11 बजकर 11 मिनट तक यह भी पढ़ें - Dussehra 2024: कब है दशहरा? नोट करें सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं पूजा का समय