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Saraswati Puja 2024: इस विशेष दिन करें सरस्वती यंत्र की स्थापना, जानें इससे जुड़े महत्वपूर्ण नियम

सरस्वती पूजा (Saraswati Puja 2024) का हिंदू धर्म में बेहद महत्व है। इस साल यह 14 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। कुछ लोग इस दिन सरस्वती यंत्र की स्थापना भी करते हैं लेकिन उसे स्थापित करते समय छोटी -छोटी चीजों का ध्यान रखना भूल जाते हैं। तो चलिए जानते हैं सरस्वती यंत्र स्थापित करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Sun, 11 Feb 2024 03:10 PM (IST)
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Saraswati Puja 2024: कहां और किस दिशा में स्थापित करें सरस्वती यंत्र ?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Saraswati Puja 2024: सनातन धर्म में सरस्वती पूजा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पर्व हर साल बेहद भव्यता के साथ मनाया जाता है। यह दिन मां सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस साल यह महापर्व14 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा। कुछ लोग इस दिन सरस्वती यंत्र की स्थापना भी करते हैं, लेकिन उसे स्थापित करते समय छोटी -छोटी चीजों का ध्यान रखना भूल जाते हैं। तो आइए जानते हैं सरस्वती यंत्र स्थापित करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

कहां और किस दिशा में स्थापित करें सरस्वती यंत्र ?

सरस्वती यंत्र घर, कारोबार या स्वयं धारण करने से बौद्धिक शक्ति, एकाग्रता और ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही हर कार्य में मनचाही सफलता प्राप्त होती है। इस यंत्र की स्थापना घर की उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए। ध्यान रहे कि इसका नोक पूर्व दिशा की ओर हो। ऐसा कहा जाता है कि इसके प्रभाव से बड़े - बड़े ग्रह दोष समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

इस तरह करें सरस्वती यंत्र की स्थापना

  • सरस्वती पूजा के दिन सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
  • साफ और पीले वस्त्र धारण करें।
  • जिस जगह यंत्र स्थापित करना हो वहां पर पवित्रता का खास ध्यान रखें।
  • देवी सरस्वती की पूजा भक्ति के साथ करें।
  • इसके बाद मां सरस्वती का ध्यान करते हुए यंत्र के सामने दीप प्रज्जवलित करें।
  • सरस्वती यंत्र का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
  • यंत्र पर कुमकुम लगाएं।
  • पीला फूल अर्पित करें।
  • गायत्री मंत्र 'ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।' का जाप करते हुए उत्तर-पूर्व दिशा में सरस्वती यंत्र स्थापित करें।
  • ध्यान रहे नियमित रूप से यंत्र की पूजा सुबह और शाम जरूर करें।
  • अंत में मां सरस्वती की आरती करें।
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