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Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या पर ऐसे करें पितरों को विदा, घर में बनी रहेगी बरकत

सर्वपितृ अमावस्या को बहुत ही विशेष माना जाता है। इस साल यह 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिन (Sarva Pitru Amavasya 2024) न केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि यह उत्सव के मौसम की शुरुआत का भी संकेत देता है विशेष रूप से दुर्गा पूजा के आगमन का जो इसके कुछ ही समय बाद शुरू होता है।

By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sun, 29 Sep 2024 02:26 PM (IST)
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Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या पर ऐसे करें पितरों की आरती।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सर्वपितृ अमावस्या का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे महालया अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है। यह तिथि पितृ पक्ष के समापन का प्रतीक है, जो पितृ पक्ष के 15 दिन बाद आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिन (Sarva Pitru Amavasya 2024) न केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उत्सव के मौसम की शुरुआत का भी संकेत देता है, विशेष रूप से दुर्गा पूजा के आगमन का, जो इसके कुछ ही समय बाद शुरू होता है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन पितरों का तर्पण करके उनकी भव्य आरती जरूर करनी चाहिए, क्योंकि इससे ही उनकी विदाई पूर्ण मानी जाती है। साथ ही क्षमता अनुसार, कुछ दान और पुण्य करना चाहिए।

।।पितृ देव की आरती (Pitru Dev Aarti)।।

जय जय पितर जी महाराज,

मैं शरण पड़ा तुम्हारी,

शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,

रख लेना लाज हमारी,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

आप ही रक्षक आप ही दाता,

आप ही खेवनहारे,

मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,

आप ही हो रखवारे,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,

करने मेरी रखवारी,

हम सब जन हैं शरण आपकी,

है ये अरज गुजारी,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

देश और परदेश सब जगह,

आप ही करो सहाई,

काम पड़े पर नाम आपके,

लगे बहुत सुखदाई,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

भक्त सभी हैं शरण आपकी,

अपने सहित परिवार,

रक्षा करो आप ही सबकी,

रहूं मैं बारम्बार,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

जय जय पितर जी महाराज,

मैं शरण पड़ा हू तुम्हारी,

शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,

रखियो लाज हमारी,

जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।

।।पितृ कवच।।

पितृ दोष निवारण के लिए इस कवच का रोजाना जाप करना चाहिए।

कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।

तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥

तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।

तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥

प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।

यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥

उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।

यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥

ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।

अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।