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Sarva Pitru Amavasya 2024: इस दिन विदा होंगे पितृ, जानिए कब मनाई जाएगी सर्वपितृ अमावस्या

प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है जो आश्विन माह की अमावस्या तिथि पर समाप्त होते हैं। श्राद्ध पक्ष में आने के कारण इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस तिथि पर पितृ पुनः पितृ लोक को जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल सर्वपितृ अमावस्या कब मनाई जाएगी।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 29 Aug 2024 11:41 AM (IST)
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Sarva Pitru Amavasya 2024 Celebration जानिए कब मनाई जाएगी सर्वपितृ अमावस्या।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष में आने वाली अमावस्या को पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए विशेष माना गया है। यदि आप इस तिथि पर पितरों के निमित्त पूरे विधि-विधान से श्राद्ध कर्म (Sarvapitri Amavasya 2024 Date) करते हैं, तो इससे उनकी आत्मा को शांति मिल सकती है और वह तृप्त होकर पितृलोक को लौटते हैं।

सर्वपितृ अमावस्या शुभ मुहूर्त (Sarva Pitru Amavasya Muhurat)

आश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 09 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन 03 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर होगा। ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या बुधवार, 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन अन्य मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाले हैं -

कुतुप मुहूर्त - 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक

रौहिण मुहूर्त - 12 बजकर 34 मिनट से 13 बजकर 21 मिनट तक

अपराह्न काल - 13 बजकर 21 मिनट से 15 बजकर 43 मिनट तक

जरूर करें ये काम (Pitru Amavasya 2024 Significance)

सर्व पितृ अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान जरूर करें। यदि ऐसा संभव न हो, तो आप घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। सर्वपितृ अमावस्‍या पर पीपल के वृक्ष का पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। क्योंकि इस वृक्ष में पितरों का वास माना गया है। पूजन के दौरान पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा करें और पेड़ के नीचे दीपक में सरसों के तेल में काले तिल मिलाकर छाया दान करें। पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान आदि करें और गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी के लिए भोजन निकालें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अपनी क्षमतानुसार दान-दक्षिणा दें।

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न करें ये कार्य

पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन कुछ सावधानियां रखने की जरूरत है। इस दिन तुलसी की पूजा नहीं करना चाहिए और न ही तुलसी के पत्ते उतारने चाहिए। ऐसा करने पर मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं। इस तिथि पर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। साथ ही इस दिन तामसिक भोजन ग्रहण न करें।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।